कोरोना जैसी एक और आपदा ने डाला था पृथ्वी पर ये प्रभाव!
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कोरोना जैसी एक और आपदा ने डाला था पृथ्वी पर ये प्रभाव!

दोस्तोँ ,कोरोना को नॉक डाउन करने के लिए भले ही लॉक डाउन की ज़रूरत आन पड़ी हो। लेकिन इसकी वजह से सिर्फ हमारी नज़र ही नहीं बल्कि सारा नज़ारा भी बदल चुका है।इस खेल का कण्ट्रोल अब प्रकृति के हाथों में जा चुका है।जिसकी वजह से हवाएं खुल के बह रही हैं आसमान साफ़ दिखाई दे रहा है और पशु पक्षियों को भी इंसान की बनाई बस्तियों और सड़कों में बेखौफ घूमने का मौका मिल रहा है। लेकिन दोस्तों यह पहली बार नहीं है जब प्रकृति ने मनुष्य पर अपना वर्चस्व साबित किया है !

एरिल 1975 में यूक्रनिअन सस्र में चेर्नोबिल नुक्लेअर पावर प्लांट में हुए इतिहास के सबसे बड़े नुक्लेअर हादसे में कईं लोगों की जान गयी थी। रेडिओएक्टिविटी की वजह से हज़ारों लोगों ने इस इलाके को हमेशा हमेशा के लिए छोड़ दिया और वैज्ञानिकों ने बताया की यह जगह 20-25000 सालों तक इंसानो के रहने लायक नहीं हो पाएगी। सोचा जाए तो इस विषैले प्रभाव के कारण एक आबाद इलाके को इंसानो द्वारा एकाएक छोड़ देने के बाद उसे वीरान हो जाना चाहिए था।

लेकिन दोस्तों प्रकृति का चमत्कार देखिए आज तीन दशकों के बाद चेर्नोबिल एक हरे भरे और जैविक विविधता से भरे इलाके में बदल चुका है।[यहां तक कि उस दौरान अस्तित्व के संकट से जूझ रहे पशु भी अब यहाँ बिना किसी रोक टोक के घूमते फिरते दीखते हि और कुदरत ने इंसानो को तो उस जगह से निकाल दिया लेकिन वह बचे बाकी जीवन को और भी समृद्ध कर दिया।
बेशक दोस्तों चेर्नोबिल एक मन मेड डिजास्टर था और कोरोना एक नेचुरल डिजास्टर। लेकिन इन दोनों ही केसेस में एक बात तो साबित होती है और वो है की प्रकृति के आगे इंसान का कद बहुत बौना है खैर फिलहाल ज़रूरी है अपनी सेहत का ख्याल रखने का और ज़रूरत न हो तो घर नहीं निकलने का।

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