क्या आप एस्ट्रोइड्स और मीटीओर्स के बारे में ये बात जानते हैं?

दोस्तोँ हमने अक्सर साइंस फिक्शनों फिल्मों में देखा है कि किस तरह एस्टरॉयड और मेटरॉयड यानी छोटे तारों और उल्का पिंडों का धरती पर हमला होता है और फिर सुपरहेरोएस हमारे प्लेनेट को बचाते हुए दिखाई देते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि डायनासोरों का अंत किसी एस्टरॉयड के धरती से टकराने का ही नतीजा था। लेकिन क्या ऐसा हो सकता है की कोई उल्का पिंड पृथ्वी से टकराये और पूरी मानव जाती का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाए। सीधे सीधे कहें तो इसके चान्सेस बहुत कम हैं। दोस्तों अगर हम सौर मंडल में नज़र दौड़ाएंगे तो क्रेटर्स ही क्रेटर्स नज़र आते हैं चाहे वो मरकरी हो या फिर चाँद की सतह। यह क्रेटर्स इन बिना अट्मॉस्फेर वाली बॉडीज पर उल्का पिंडों के टकराने की वजह से ही बने हैं क्यूंकि हमारे सौरमंडल में एस्टिमेटेड 20 एस्टरॉयड और कॉमेट्स हैं जो आवारा स्पेस में घूम रहे हैं। लेकिन पृथ्वी के पास अपना वायुमंडल या अट्मॉस्फेर है जो इन उल्का पिंडों को पृथ्वी के सतह तक पहुँचने से पहले ही नष्ट कर देता है। 

रात में दिखने वाले मेटीओर्स इन्ही रॉक्स का हवा में ही जल जाने का साबुत हैं। दोस्तों आपको जानकार हैरानी होगी की 10 मीटर डायमीटर वाली ऑब्जेक्ट्स भी पृथ्वी के अट्मॉस्फेर में एंटर करने के बाद थर्मल एक्सप्लोसिव से नष्ट हो जाती है। लेकिन असली खतरा बड़े साइज के उल्का पिंड से है जो हैं तो बहुत काम लेकिन उन्हें पृथ्वी की सतह से टकराने से हमारा वायुमंडल भी नहीं बचा पाएगा। 100 साल पहले 1908 में रूस मेंटंगस्का नदी के पास एक निर्जन जगह पर एक मामूली सा उल्का पिंड गिरा था जिसने 2000 वर्ग कम जितना जंगल नस्ट कर दिया था। हालाँकि यह घटना सिबेरा के सुदूर प्रान्त की थी लेकिन अगर यह मामूली-सा उल्का पिंड लंदन शहर के ऊपर गिरता तो शहर में सब कुछ तबाह हो चुका होता। तो दोस्तों कुछ समझ आया? अगर हाँ तो इस वीडियो को लाइक कर देना और अगर अभी तक आपने फैटिफ़िएड हिंदी को सब्सक्राइब नहीं किया है तो वो भी।

Share this article :
Facebook
Twitter
LinkedIn

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WRITTEN BY
Factified
FOLLOW ON
FOLLOW & SUBSCRIBE