गाड़ी के इन्सोरेन्स के बारे में ये बातें शायद आप नहीं जानते।

दोस्तों, वैसे तो हमारे India यानी भारत में बहुत से ऐसे क़ानून है जिसे अधिकतर लोग नहीं जानते हैं। लेकिन जिन लोगों के पास कार या बाइक है वो लोग तो ये अवश्य जानते होंगे की उन्हें अपनी गाड़ी का इन्शुरन्स करवाना अनिवार्य है। लेकिन दोस्तों क्या आप जानते हैं की इन्शुरन्स कराने के बाद यदि किसी सड़क दुर्घटना में गाड़ी चलाते हुए आपको चोट लग जाये तो आपके इलाज का खर्चा उठाना भी उसी मोटर इन्शुरन्स कंपनी की ज़िम्मेदारी है जिससे आपने इन्शुरन्स करवा रखा है। इतना ही नहीं अगर एक्सीडेंट के कारण  आपको कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ता है तो उसका भी खर्च आपकी मोटर इन्शुरन्स पालिसी में शामिल होती है। दोस्तों आपको बता दूँ की 2018 तक मोटर इन्शुरन्स सीमा एक लाख रुपये तक थी। यानी अगर आप किसी रोड एक्सीडेंट का शिकार हो जाते हैं तो कानूनी कार्यवाही में होनेवाले खर्च सहित इन्शुरन्स कंपनी को 1 लाख रुपये तक देना अनिवार्य था। लेकिन 2019 में बने नए कानून के तहत अगर दुर्घटना में आपको कुछ होता है, तो हॉस्पिटल में हुए खर्चे की सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ा कर 15 लाख रुपये कर दिया गया। यानी अब इन्शुरन्स कंपनी आपको कुल पंद्रह लाख रूपये तक देने के लिए बाध्य है। मतलब एक्सीडेंट में गाड़ी को जो नुक्सान होता है, उस गाड़ी की मरम्मत करने का खर्चा तो बीमा कंपनी उठाएगी ही, उसके अलावा हॉस्पिटल में आपका इलाज और कानूनी खर्चे मिलाकर बीमा कंपनी 15 लाख रुपये तक खर्च करेगी।

इसलिए दोस्तों मेरा सलाह है की आप जब भी अपनी गाडी का इन्शुरन्स करवाते हैं तो भुगतान करने से पहले आप अपनी मोटर इन्शुरन्स कंपनी से ये सारे फैक्ट्स कन्फर्म कर लें। तो दोस्तों अगर आपने कुछ नया सीखा तो post को लाइक कर दें!

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