हाई स्पीड पे चल रही ट्रेन के साथ चलते कांटेक्ट वायर टूटती क्यों नहीं?

दोस्तों आपने देखा होगा की बिजली से चलने वाले ट्रेनों या मेट्रो के ट्रैक के ऊपर बिजली की तारें होती है जो ट्रेंस को पावर सप्लाई करने का काम करती है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है की हाई स्पीड पे चल रही ट्रैन के साथ चलते यह कांटेक्ट वायर टूट ती क्यों नहीं। अगर नहीं ,दोस्तों तब भी बता दूँ की अगर आपने गौर किया होगा तो देखा होगा की किसी भी रेलवे ट्रैक के ऊपर एक नहीं बल्कि दो वायर्स लगे होते हैं जिनमे ऊपर वाले वायर को काटेनरी वायर कहा जाता है जबकि नीचे वाले वायर को कांटेक्ट वायर कहा जाता है|C

Contact वायर एक ड्रॉपर वायर की मदद से जुडी होती है! यही कांटेक्ट वायर एक ग्रेफाइट पैंटोग्राफ के ज़रिये ट्रैन में करंट सप्लाई करने का काम भी करती है। इन तारों को सपोर्ट करने के लिए ट्रैक के साथ साथ मजबूत खम्बे भी बनाये होते हैं यह हाई टेंशन वायर्स वैसे तो मोटेे स्टील से बनी होती है लेकिन चूँकि यह डायरेक्ट ट्रैन के कांटेक्ट में नहीं होती इनके टूटने की सम्भावना भी बहुत कम होती है। सिर्फ पैंटोग्राफ की ऊपरी ग्रेफाइट प्लेट को नियमित तौर पर बदला जाता है। तो कुछ समझे?

 

 

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