आज तक किसी हिंदी पिक्चर को ऑस्कर अवार्ड क्यों नहीं मिला?

दोस्तों कुछ दिन पहले ही ऑस्कर्स की सेरेमनी में इस साल एक साउथ कोरियाई फिल्म पैरासाइट ने बेस्ट मूवी ऑफ़ दी ईयर का अवार्ड जीता। यह पहली नॉन इंग्लिश मूवी थी जिसे बेस्ट मूवी का अवार्ड मिला हो। लेकिन दोस्तों क्या आपने कभी सोचा है की भारत आज तक ऑस्कर अवार्ड क्यों नहीं जीत पाया? क्यूंकि दोस्तों इस साल हम ने ऑस्कर्स के लिए यह नहीं भेजी। यह है फिल्म तुम्बड़ जिसे बनाने में 6 साल लगे थे। हमने भेजी गली बॉय ।इसी तरह हमने 2012 में हमने ऑस्कर्स में गैंग्स ऑफ़ वास्सेय्पुर नहीं बर्फी भेजी थी।
मैं नहीं कहता की गल्ली बॉय या बर्फी अच्छी फ़िल्में नहीं लेकिन आप ही सोचिये की हॉलीवुड तुम्बड़ में दिखाए गए ऐतिहासिक तथा भारतीय तांत्रिक एवं उपकथाओं में ज्यादा इंटरेस्टेड होता या फिर एक स्ट्रीट रैपर की गिसी पीती कहानी में जिसपर अस्सी के दशक से ही हॉलीवुड में कहानियां और फिल्में बन रही हैं! आप ही बताइए हॉलीवुड को भारत के छोटे शहरों में होने वाली असली गैंग वॉर की कहानी पसंद आती या फिर नोटबुक फिल्म से सीधे सीधे सीन्स चुराने वाली बरफी और फिर हम सर फोड़ते हैं कि हमें ऑस्कर क्यूं नहीं मिलता। उम्मीद है आप समझ गए होंगे।

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