Allopathy या Ayurveda? कौन सी साइंस है बेहतर ?

क्या इस सवाल ने आपको भी परेशान कर रखा है , तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं…. क्योंकि जानेंगे इनसे जुड़ी सभी बारीकियों और इसके पीछे के साइंटिफक्स रिजनस के बारे में फैक्टिफाइड स्पेशल के आज के इस खास एपिसोड में 

अब दोस्तों बाबा रामदेव ने अपने एक मार्निंग yoga session में मार्डन साइंस और और डॉक्टर्स पर ये कमेंट क्या कर दिया कि सभी बाबा रामदेव पर राशन पानी लेकर चढ़ गए और…ट्विटर पर बैठे मिमिर्स को भी नया काम मिल गया 

खैर आर्युवेद और एलोपैथी के बीच चल रहे इस झगड़े का निपटारा तो अब तक नहीं हुआ है लेकिन इससे पहले कि वीडियो Content मैं आपके सामने पेश करुं , वीडियो यहीं pause करके कमेंट में आप जल्दी से इन दोनों के बारे में अपनी राय लिखें 

और चलिए अब बारी बारी से पहले ये समझते हैं कि आर्युवेद और एलोपैथी आखिर कहते किसे हैं 

दोस्तों आयुर्वेद दो शब्दों से मिलकर बना है…जिसमें आयुर का मतलब होता है -जिंदगी मानें लाइफ ….और वेद का मतलब होता है विज्ञान मानें साइंस…

अब इसका पूरा meaning बनता है Science of Life…….

और इस Science of Life जिसे हम आर्युवेद कहते है इसका जन्म हमारे देश भारत में हुआ है और ये इलाज की सबसे पुरानी पद्दति है जो रिकॉर्ड की गई है 

पुराने जमाने मे जब अस्पताल नहीं हुआ करते थे तब आयुर्वेद की इन्ही  techniques से वैद और हकीम लोगों का इलाज किया करते थे….. 

घर में कोई बीमार हो जाता या फिर महिला को बच्चे को जन्म देना होता तो 16th Centuray तक वेद और हकीम आर्युवेद की Techniques से ही ये सारे इलाज किया करते थे जब Allopathy का जन्म हुआ था….

अब अगर आपको लगता है कि सिर्फ हर्बल मेडिसन को आर्युवेद कहते है तो आप गलत है 

.आयुर्वेद में 5 तरीकों से रोगी का इलाज किया जाता है – योगा, मसाज, acupuncture और हर्बल मेडिसन जिन्हें पेड़ पौधों और जड़ी बूटियों के रस से तैयार किया जाता है……..

आर्युवेद से इलाज संभव है ये तो सच है लेकिन आर्युवेद से इलाज में काफी लंबा टाइम लगता है..

.गंभीर मरीजों पर इसका फायदा नहीं होता….पर अगर मरीज की बिमारी शुरुआती स्टेज पर है तो आर्युवेद से इलाज संभव है….

 ऐसा इसलिए क्योंकि आर्युवेद बिमारी के तुरंत इलाज से ज्यादा फोकस शरीर को हेल्दी बनाने पर करता है ताकि शरीर अपने आप बिमारी से लड़ पाए…. और इन दवाइयों का असर दिखने में कम से कम 2 से 3 महीने तो लगते ही है…… 

वैसे तो आर्युवैदिक दवाईयों के साइड फैक्टस नहीं होते लेकिन ऐसा भी नहीं है कि Ayurvedic दवाइयां पूरी तरह सेफ होती है,…. बिना डॉक्टर् की सलाह और मात्रा से ज्यादा लेने पर ये दवाइयां भी जानलेवा साबित हो सकती है…..

Allopathy  क्या है ?

अब बात जरा Allopathy की करते हैं…Allopathy को आप मार्डन साइंस भी कह सकते हैं…..बोले तो कोई भी दवा या इलाज का तरीका जिसका Scientific Evidence हो वो Allopathy का हिस्सा है 

ये नाम Homepathy के जन्मदाता सैमुअएल हैनीमेन ने दिया था और इलाज का ये तरीका सिर्फ  200 से 250 साल ही पुराना है…

जिस वजह से Allopathy के पास अभी कई बड़ी बिमारियों का सटीक इलाज तो नहीं है, लेकिन बिमारी की रोकथाम का तरीका जरुर मौजूद है….और क्योंकि Allopathic दवाईयां गंभीर मरीजों की भी जान बचा सकती है..इसलिए इलाज की ये पद्धति Life Saving मानी जाती है 

Modern Surgeries, patient  के इलाज में इस्तेमाल होने वाली  सिरेंज, ड्रग्स और केमिकल्स टेबलट्स सभी Allopathy का हिस्सा है.. 

Allopathy बॉडी में बिमारी के Symptoms पर तुरंत काम करती है जिससे शरीर में बिमारी का effect कम हो जाता है….

लेकिन क्योंकि सभी Alloptheic Medicine केमिकल्स फॉर्मूले से तैयार की जाती है इसलिए ये असरदार तो होती है लेकिन इनके  Long Term साइड फैक्ट्स भी होते हैं… 

इसिलए इन्हें बिना डॉक्टर की सलाह के लेना या जरुरत से ज्यादा मात्रा में लेना बेवकूफी है….और इससे मरीज की जान भी जा सकती है…….

पर यहां पर एक इंटरस्टिंग बात ये है कि Ayurveda और Allopathy  के इलाज का तरीका भले ही अलग अलग हो …पर ये एक दूसरे जुड़े हुए हैं…..आप Allopathy को Ayurveda का मार्डन रुप भी कह सकते हैं

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Example 1

पुराने जमाने में प्रेग्नेंट महिलाओं को गुड़ और हल्दी का सोट दिया जाता था…क्योंकि गुड़ में आयरन होता है और हल्दी में folic acid  होता है जिससे प्रेग्नेंट महिला को एनीमिया नहीं होता…..

पर अगर किसी प्रेग्नेंट महिला को शुगर है तो उसे गुड़ देना खतरे से खाली नहीं है क्योंकि उसमें आयरन और शुगर दोनों होते हैं……और ये भी जरुरी नहीं कि हर एनीमिया आयरन की कमी से हो

इसलिए आज डॉक्टर्स गुड़ और हल्दी का सोट Recommend करने की बजाए प्रेग्नेंट महिलाओं की उनकी कंडिशन के मुताबिक आयरन, विटामिन्स टेबलेट्स और एनीमिया Syrups  देते हैं…..अब आप इन्हें इलाज का Direct और Indirect तरीका भी कह सकते हैं …बस फर्क इतना है कि Direct तरीका Scientifically ज्यादा असरदार और Safe है…..

Example 2 – 

मच्छर के काटने से होने वाली बिमारी मलेरिया का इलाज आयुर्वेद में सिनकोना पेड़ की छाल से किया जाता था…अब इस छाल को खाने से मलेरिया से तो लोग ठीक हो जाते थे लेकिन इसके कई खतरनाक साइड फैक्ट्स भी थे…..जिनका असर मरीज पर हफ्तों तक रहता था…..

लेकिन जब इस पेड़ पर रिसर्च हुई तो पता चला कि इस पेड़ की छाल में alkaloids ड्रग है जिससे मलेरिया को ठीक किया जा सकता है…और अब इसी पेड़ से Alkaloids drugs निकालकर मलेरिया की दवा बनाई जाती है……

Example 3 

पुराने जमाने में राजा महाराजा और योद्धा योगा से ही अपनी mental और physical हेल्थ को इम्प्रूव किया करते थे…जबकि आज मेंटल हेल्थ और फिजिकल इश्यूज को ठीक करने के लिए physiatrist और physiotherapy है जिनके इलाज में टेबलट्स के साथ-साथ कई योगा आसान भी शामिल है  

लेकिन क्योंकि Allopathy में आपके पास treatment के राइट Scientific Evidence है जो बिमारी के कारण, Symptoms और CURE को Identify करते हैं इसलिए पूरी दुनिया का हेल्थ सिस्टम इस पर बेस्ड है

Allopathy में  ट्रीटेमेंट हो या फिर मेडिसन्स ….लेब टेस्टिंग और कई ट्रायल के बाद ही Approve किए जाते है और  साथ ही ये World health Organisation और हेल्थ मिनिस्ट्ररी से Certified  होते है

जबकि  Ayurveda से जुड़ा हर नुस्खा Certified  हो ये जरुरी नहीं….आर्युवेद की बहुत सारी Techniques और नुस्खे ऐसे है जो लोकल है और जिन पर अभी Scientific research जारी है ..

और जहां तक बात रही ये चुनने की, कि कौन बेस्ट है तो अब तक आप भी समझ गए होंगे कि Ayurveda और Allopathy दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं….

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तुरंत इलाज के लिए Allopathy ही सही च्वाइस है…लेकिन मरीज के इम्युनिटी सिस्टम को स्टाँग करने और Healthy बनाने के लिए Ayurveda  भी जरुरी है…

कोरोना महामारी के इलाज में भी Ayurveda और Allopathy ने मिलकर ही लोगों की जान बचाई है….जो लोग होम आइसोलेशन में थे उन्होंने Ayush Ministry के बताए आर्युवैदिक नुस्खों और योगा से अपने इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत किया और जिनकी हालत गंभीर थी उनका इलाज अस्पताल में Allopathy से किया गया….

इसलिए हमारी मानें तो इस बेतुकी लड़ाई में अपना वक्त जाया ना करें और Alllopathy Vs Ayurveda की इन बेकार Debates को तवज्जो देकर टीवी चैनल्स की टीआरपी ना बढ़ाएं … डॉक्टर की सलाह के बाद ही कोई दवाई लें और सिर्फ आयुष मंत्रालय की बताई आर्यवैदिक घेरलु नुस्खों को इस्तेमाल करें ….

और अगर आपको ये पोस्ट Informative लगा हो तो  अपने दोस्तों को भी ये पोस्ट शेयर कर यही समझाएं की Ayurveda और Allopathy दोनों मेडिकल साइंस के रुप हैं बस इलाज का कौन सा तरीका कब चुनना है या बिमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है….

https://youtu.be/xCK5DHjwvEo
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