आलिशान महलों में रहते थे Indian Royal Family, आज उन्हें छत तक नसीब नहीं हैं

भारतीय शाही परिवार ( Indian Royal Family )

एक समय था जब भारत में सिर्फ राजा महाराजाओं ( Indian Royal Family ) का राज चलता था. लेकिन 1947 के बाद जब विरासतों का विलय हुआ उसके बाद से इन राजाओं की हालत बहुत खस्ता हो गयी. इनमें से कई तो आज रोड पर भीख मांगने के लिए मजबूर हैं और कई रिक्शा चलाकर अपनी रोजी रोटी का जुगाड़ कर रहे है. आज कि इस लेख में हम ऐसे ही लोगो की बात करेंगे जो कभी आलिशान महलों में रहते थे और आज उन्हें छत तक नसीब नहीं हैं.

टीपू सुल्तान के वंशज

भारत के सबसे महान राजाओं ( Indian Royal Family ) में शुमार टीपू सुल्तान के पास एक समय पर इतनी दौलत थी कि ब्रिटिश इंडिया कंपनी ने उनकी बेटी फातिमा के गहने जब्त करने के लिए गाड़िया भेजी थी तब इनके सभी गहनों को इकठ्ठा करने में उन्हें कुल 6 बैलगाड़ियों की जरूरत पड़ी थी. टीपू सुल्तान की वीरता के चर्चे हर जगह थे, राजनीती हो या फिर सैन्य प्रतिभा , वो दोनों में ही ग्रेट थे. लेकिन मई 1799 में सेरिंगपट्टनम में अंग्रेजों से लड़ते हुए वो शहीद हो गये. इनकी मृत्यु के बाद अंग्रेजी हुकूमत में इनके सम्राज्य पर कब्ज़ा करते हुए इनके परिवार को मैसूर से कोलकाता शिफ्ट कर दिया गया . और इनकी सारी दौलत जब्त कर ली गई . जिसके बाद इनके घर वालों के दिन ऐसे पलटे की महलों में रहने वाले ये लोग अब अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए छोटे मोटे काम करने के लिए मजबूर हो गए थे. आज भी उनका परिवार कोलकाता में गरीबी में अपने दिन काटने को मजबूर है. इनके परिवार के ज्यादातर लोग साइकिल रिक्शा चलाने, साइकिल रिपेयर करने, इलेक्ट्रीशियन और टेलरिंग जैसे कामों में लगे हुए हैं.

Osman Ali Khan, The Last Nizam of Hyderabad ( Indian Royal Family )

236 बिलियन डॉलर की सम्पति के साथ हैदराबाद के आखिरी निजाम मीर उस्मान अली खान एक समय पर दुनिया के सबसे अमीर लोगो की लिस्ट में शामिल थे. कई मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उस वक्त दुनिया में किसी के पास इतना पैसा नहीं था जितना इनके पास था. कहा जाता है कि निज़ाम इतने रंगीन मिजाज के थे, कि उनकी हवस की भूख कभी शांत नहीं हो सकती थी.. उन्होंने अपनी मौज मस्ती और हवस को पूरा करने के लिए अपने हरम में 86 औरतो को रख रखा था. इतना ही नहीं, हैदराबाद के इस रंगीन मिजाज निज़ाम के 100 से भी ज्यादा की संख्या में नाजायज बच्चे थे. यही वजह है कि जब उनका आखिरी समय चल रहा था तब तक उनकी संपत्ति के दावेदारों की संख्या 400 से भी ज्यादा तक हो चुकी थी. खबरों के अनुसार इनके पास इतना पैसा था… कि ये 185 कैरेट हीरे से बने पत्थर का इस्तेमाल पेपरवेट की तरह करते थे. आज़ादी के समय में भी ये करीब 130 अरब रुपये के मालिक थे. हालाँकि इतना कुछ होने के बाद भी ये बहुत कंजूस किस्म के इन्सान थे. और इनके शौक ज्यादा लग्जरी नहीं थे. इनके वंशजो में मुकर्रम जाह, मुफ्फखम जाह जैसे 120 लोग लोग बचे हुए थे जिनमे से किसी की भी आर्थिक हालत बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है. इनके वंशजों में सबसे दुर्भाग्यशाली मुकर्रम जाह है, जो इस्तांबुल के एक छोटे से अपार्टमेंट में रहते थे. कभी दुनिया में सबसे ज्यादा पैसे रखने वाली ये रियासत आज सुख चुकी है.

तिगिरिया के राजा बृजराज क्षत्रिय बीरबर छमउपति सिंह महापात्रा

तिगिरिया के ये राजा कभी भारत के प्लेबॉय और शाही पार्टी सर्किट की जान हुआ करते थे. कभी इनके पास 25 लग्जरी कारों का बेड़ा था और 30 नौकरों के साथ ये आलिशान महलों में रहते थे। ये एक शिकारी के रूप में अपने कौशल के लिए बहुत फेमस थे, जिन्होंने 13 बाघों और 28 तेंदुओं का शिकार किया था. इतने काबिल होने के बाद भी 1947 में इनके साम्राज्य का भारत में विलय हो गया. इस विलय के बाद उन्हें 11,200 रुपये की वार्षिक आय दी जाने लगी। फिर 1960 में उन्हें अपना महल बेचने के लिए मजबूर किया गया और आखिर तक आते आते साल 1975 में उन्हें सालाना आय देना भी राज्य ने बंद कर दिया। साथ ही उनके अंतिम शेष शाही विशेषाधिकारों को भी सरकार ने उनसे छीन लिया। आखिर में वो खुद का गुजर बसर करने के लिए अपने परिवार से दूर एक मिट्टी की झोपड़ी में गरीबी में अपना जीवन बिताने लगे।

सुल्ताना बेगम ( Indian Royal Family )

कभी शाही ठाठ बाट के साथ हिंदुस्तान पर राज करने वाले मुगलों का खानदान आज झुग्गी झोपड़ियों में अपने दिन काट रहा हैं। सुल्ताना बेगम खुद को बहादुर शाह जफर के पड़पोते की पत्नी बताती हैं। अपने पति के दुनिया छोड़ देने के बाद आज उनका जीवन 6 हजार की मंथली पेंशन पर कट रहा हैं। इन 6 हजार रुपयों में उन्हें अपने 6 बच्चों का पालन पोषण भी करना होता हैं। 1980 में पति प्रिंस मिर्जा बेदार बख़्त के चले जाने के बाद से सुल्ताना गरीबी में जिंदगी गुजार रही हैं। वो कोलकाता की एक झुग्गी में अपने बच्चो के साथ रहती हैं, जिन मुगलों के खानदान में बड़ी बड़ी रसोई हुआ करती थी। और उसमे स्वादिष्ट पकवान बनाने के लिए न जाने कितने महाराज हुआ करते थे, इन्हीं मुगलों के वंशज आज अपने पड़ोसियों के साथ एक कॉमन किचन शेयर करते नजर आ रही हैं। सड़को पर कपड़े धोती हैं और पब्लिक नल से पीने का पानी भरती हैं।

ग्वालियर के सिंधिया

ये एक ऐसा परिवार है जो अपने खजाने को लेकर इतना ज्यादा सावधान थे, कि इन्होंने इस खजाने के चक्कर में न जाने अपना कितना कुछ खो दिया। तोमरों ने ग्वालियर के शानदार किले को बनवाया। जिसे बाद में मुगलों ने एक खतरनाक जेल में तब्दील कर दिया। इसके बाद साल 1857 के विद्रोहियों ने इसे एक रणनीतिक चौकी के रूप में इस्तेमाल किया और फिर ये किला सिंधियों का गढ़ बन गया। \इस किले का इस्तेमाल सिंधियों ने एक शस्त्रागार और खजाने के रूप में किया। कहा जाता है कि सिंधियों के पास गंगाजली नाम के रूप में विशाल खजाने का संग्रह था। जिसे उन्होंने अकाल और युद्ध जैसे संकट की घड़ी के लिए संजो कर रख रखा था। महाराजा जयाजीराव सिंधिया, जो इस खजाने की पूरी जानकारी रखते थे, उनकी जल्द ही उनकी मृत्यु हो गई। इनके बाद इस खजाने का वारिश प्रिंस का पुत्र माधव राव था। लेकिन जिस समय वो गए, उस वक्त माधव बहुत छोटे थे इसलिए राजा इन्हे कुछ नही बता पाए थे। ऐसे में इनके परिवार के सदस्यों ने कई सालों तक आर्थिक तंगी में अपने दिन गुजारे। हालाँकि बाद में माधव उस खजाने को खोजने में कामयाब रहे.

अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह का परिवार

कभी मध्य भारत के बड़े हिस्से पर राज करने वाले और जमीन जायदाद से लैस इस खानदान को अपने शाही रुतबे पर इतना ज्यादा गुरुर था कि इन्ही के खानदान की एक शख्स बेगम सकीना महल ने एक बार कहा था कि आम होना सिर्फ एक जुल्म ही नहीं है, ये पाप है. इनके परिवार ने कभी भी वक्त के साथ बदलने की कोशिश नहीं की इसलिए वक्त ने इन्हें हमेशा के लिए भुला दिया. इनकी अकड़ ही है जिसकी वजह से इनकी मौत पर भी इन्हें किसी ने नहीं याद किया और न ही कोई देखने आया. साल 1970 में एक केस सामने आता है, जिसमे बेगम विलायत महल खुद को अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह की परपोती बताती हैं और भारत सरकार से उन तमाम जायदादों के बदले मुवावजे की अपील करती हैं जो कभी उनके दादा, परदादा की थी. 10 साल की लम्बी लडाई के बाद सरकार उन्हें दिल्ली के मालचा महल को रहने के लिए दे देती है. ये परिवार अपने अलावा बाहरी लोगो से ज्यादा मतलब नही रखा करता था. समय गुजरने के साथ इनकी शाही अकड़ ने इनसे इनका सब कुछ छीन लिया. अब इनकी हालत ऐसी थी जिनके पास खाने के लाले पड़े हुए थे. इस खंडन के आखिरी शाषक इसी गरीबी को बर्दास्त नहीं कर पाए.

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