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मेजर संदीप उन्‍नीकृष्‍णन: ताज हमले में देश को बचाने वाला वीर सपूत

 शहीद संदीप उन्‍नीकृष्‍णन: भारत की महान धरती का वो वीर सपूत जिसने अपने पराक्रम से आतंक को धूल चटा दी थी। 26/11 का वो नायक जो पूरे देश के लिए सुपरहीरो बन गया। आज हम बात कर रहे हैं शहीद संदीप उन्‍नीकृष्‍णन की।  26 नवंबर वो हमला जिसने मुंबई की पहचान ताज होटल को तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।  उस हमले में आतंकियों के हमले से बचाने वाला एक नाम था संदीप उन्‍नीकृष्‍णन। मुंबई लगातार हो रहे बम ब्लास्ट से कांप चुका था। ताज होटल के हर कमरे, हर कॉरीडोर में मौत नाच रही थी। जो भी यहाँ फंसा हुआ था उसको अंदाजा भी नहीं था कि अगली सुबह उनको देखने को मिलेगी भी या नहीं।

मुंबई ताज हमला:

लेकिन फिर भी हर एक जान बचाने के लिए पूरे जज्बे से एक फौजी लड़ रहा था, संदीप को गोली लग चुकी थी लेकिन मौत भी अब उनके जज्बे के सामने घुटने टेक चुकी थी। आतंकियों का सफाया करने और बंधक संकट को खत्‍म करने के लिए 51 स्‍पेशल एक्‍शन ग्रुप (एसएजी) ने ऑपरेशन ब्‍लैक टॉरनेडो चलाया था। एसएसजी, एनएसजी यानि NATIONAL SECURITY GUARD का हिस्‍सा है। मेजर उन्‍नीकृष्‍णन इसी ऑपरेशन में कमांडोज की एक टीम को लीड कर रहे थे। इतनी खतरनाक स्थिति से निपटने के लिए NSG ने कमांडो ऑपरेशन चलाया था जिसे संदीप लीड कर रहे थे। ताज में घुसने और दुश्मन को घेरेने की पूरी प्लैनिंग खुद मेजर संदीप उन्‍नीकृष्‍णन ने की थी।  पूरी टीम को साथ लेकर वो सबसे आगे चल रहे थे। होटल में लगातार गोलियां चलने की आवाज आ रही थी। उन्होंने अपनी समझदारी से आतंकियों को टारगेट करना भी शुरू कर दिया था। दोनों तरफ से गोलीबारी हो रही थी कि अचानक संदीप को गोली लग जाती है।

उस हाल में भी वो करीब 14 hostage को आतंकियों से बचा कर निकाल लेते हैं। होटल के ऊपरी हिस्से में गोलियां चलती जा रही थी, वो तुरंत उस हिस्से में पहुँच जाते है। NSG कमांडो उनको कवर रहे थे लेकिन वो बोलते हैं ‘ऊपर मत आना, मैं इन सबको अकेले देख लूँगा’। खून से लथपथ घायल संदीप एक-एक करके आतंकियों को खत्म करते जा रहे थे, अपने लोगों को बचाते हुए मेजर कृष्णनन शहीद हो गए। 26 नवंबर 2008 को जब मुंबई पर आतंकी हमला हुआ तो मेजर संदीप की उम्र बस 31 साल थी।

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शहीद संदीप उन्नीकृष्णन को उनकी बहादुरी के लिए उन्हें 26 जनवरी 2009 को देश के सर्वोच्च पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। मेजर संदीप ने सिर्फ 26/11 ही नहीं बल्कि कारगिल की जंग में भी हिस्‍सा लिया था। वह बचपन से ही आर्मी ऑफिसर बनना चाहते थे। सबसे हैरान करने वाली बात है कि 12 जुलाई 1999 को जब कारगिल की जंग चल रही थी, मेजर उन्‍नीकृष्‍णन को सेना में कमीशन हासिल हुआ था। लेफ्टिनेंट बनकर मेजर उन्‍नीकृष्‍णन कारगिल पहुंचे थे और ऑपरेशन विजय का हिस्‍सा बने थे। मेजर उन्‍नीकृष्‍णन 7 बिहार रेजीमेंट के साथ थे और उनके साथी आज तक उनके किस्से याद करते हैं। लंबे समय तक सेना का हिस्सा रहने के बाद उन्‍होंने साल 2007 में नेशनल सिक्‍यारिटी गार्ड (एनएसजी) को बतौर कमांडो ज्‍वॉइन किया था। बेंगलुरु के रहने वाले मेजर संदीप को बचपन से ही फौज में जाने की इच्‍छा थी. वह स्‍कूल में हमेशा फौजी कट हेयरस्‍टाइल ही रखते थे।

फौज में जाने के अपने सपने को पूरा करने के लिए साल 1995 में उन्‍होंने पुणे के नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) में एडमिशन लिया था। जिसके बाद वो एनडीए की ऑस्‍कर स्‍क्‍वाड्रन में शामिल हुए और इसके 94वें कोर्स से पास आउट हुए और 7 बिहार में कमीशंड हुए थे। आज भी देश उनके योगदान को कभी नहीं भुला पाएगा. उनके अंतिम संस्‍कार के समय लाखों लोगों का हुजूम इकट्ठा था और उनके साथी आज भी उस मंजर को याद करते हैं जब पूरी वीरता से लड़ते हुए वो शहीद हुए थे।

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