लखनऊ में है सबसे पुराना रावण का मंदिर, होती है पूजा

पूरी दुनिया भर में भगवान राम में के अनगिनत मंदिर हैं । भगवान राम (RAM) हिंदुओं के आदर्श हैं। भारत में मनाया जाने वाला हर त्योहार उन्हीं से जुड़ा हुआ है। चाहे वो दशहरा हो दिवाली। लेकिन ऐसे में आपको एक रावण (RAVAN) मंदिर के बारे में पता चले जहां पूरे रीति रिवाज के साथ उसकी पूजा की जाती है। लेकिन क्यों?

लखनऊ के दिल में बना ये मंदिर 123 साल पुराना है। सबसे खास बात ये है कि इस मंदिर में रावण का पूरा दरबार विराजमान है। इसकी कहानी भी श्री राम से ही जुड़ी है, श्री राम भगवान विष्णु के अवतार थे। उन्होंने धरती पर राजा दशरथ के यहाँ एक आम इंसान के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने इंसानों की जिंदगी के सुख और दुख को जिया। अपने आदर्शों, परिवार और अपनी प्रजा के लिए उनके समर्पण ने उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम बना दिया। उनके जीवन में दिखा कि इंसान अपने जीवन में जो भी कर्म करता है उसको उसका फल भोगना होता है।

लखनऊ के चौक में बने रावण मंदिर को इसलिए बनवाया गया ताकि लोग चारों धाम के दर्शन इस एक मंदिर में ही कर लें। इस मंदिर को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है। चारों धाम मंदिर में रावण का पूरा दरबार है। दरबार में दोनों तरफ रावण के मंत्री बैठे दिखाई देते हैं। जिसमें सबसे ऊपर बैठा है रावण।

इस मंदिर में रावण दरबार के साथ ही स्वर्ग और नर्क भी बने हुए है जहां यह दिखाया गया है कि स्वर्ग में कौन कौन विराजमान है और नर्क में हमें अपने कर्म के अनुसार क्या भोगना पड़ता है। लेकिन रावण की पूजा क्यों?

चार धाम मंदिर में रावण दरबार में हर दिन यहाँ के पुजारी वैदिक मंत्रोंचार के रावण की पूजा करते है। इसके पीछे वजह है कि रावण एक बड़ा ज्ञानी था। वो राजनीतिशास्त्र और वनस्पति विज्ञान का जानकार था। रावण ने आयुर्वेद में भी काफी योगदान दिया था। अर्क प्रकाश नाम की एक किताब भी रावण ने लिखी थी, जिसमें आयुर्वेद से जुड़ी कई जानकारियां हैं। रावण सिर्फ एक योद्धा ही नहीं था। उसने कई कविताओं और श्लोकों की भी रचनाएं की थीं। शिवतांडव इन्हीं रचनाओं में से एक है। रावण को संगीत का भी शौक़ था। रूद्र वीणा बजाने में रावण को हराना लगभग नामुमकिन था। रावण जब भी परेशान होता वो रूद्र वीणा बजाता था। अपने आयुर्वेद के ज्ञान से रावण ने स्त्री रोगविज्ञान और बाल चिकित्सा के ऊपर भी कई किताबें लिखी थीं।

साम वेद के अलावा उसे बाकी तीनों वेदों का भी ज्ञान था. इतना ही नहीं पद पथ में भी उसे महारत हासिल थी. रावण को ऐसे चावल भी बनाने आते थे जिसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन होता था. कहा जाता है इन्हीं चावलों को वो सीता जी को दिया करता था.

रावण एक ज्ञान का स्रोत था उसने कहा था इंसान को कभी भी अपने शत्रु को खुद से कमजोर नहीं समझना चाहिए, क्योंकि कई बार जिसे हम कमजोर समझते हैं वहीं हमसे ज्यादा ताकतवर साबित हो जाता है। उसने कहा था खुद के बल का दुरुपयोग कभी भी नही करना चाहिए। घमंड इंसान को ऐसे तोड़ देता है, जैसे दांत किसी सुपारी को तोड़ता है। उसने उपदेश दिया था कि हमें शत्रु और मित्र की हमेशा पहचान करनी चाहिए। कई बार जिसे हम अपना मित्र समझते हैं वे ही हमारे शत्रु साबित हो जाते हैं और जिसे हम पराया समझते हैं असल मे वे ही हमारे अपने होते हैं।

दरअसल रावण के किरदार की नहीं बल्कि उसके ज्ञान की इस मंदिर में पूजा होती है। इस मंदिर में ये भी दिखाया गया है अगर रावण के जैसे गलत कर्म होंगे तो नरक भी मिलेगा। इस मंदिर में स्वर्ग और नर्क की सीढ़ी भी है जिसमें ये दिखाया गया है कि इस धरती पर बुरे काम करने का क्या फल मिलता है।

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