मुगलों के वंशज आज कहाँ हैं
एक समय था जब भारत में सिर्फ राजा महाराओं का राज चलता था. वो ही इस देश को चलाते थे लेकिन आज भारत में राजतन्त्र की जगह लोकतंत्र ने ले ली है. लेकिन फिर भी इस देश में कई लोग ऐसे है, जो समय समय पर अपने आपको राजाओं के वंशज होने का दावा करते है.
जैसे ये गरीब औरत खुद को बहादुरशाह ज़फर का वंशज कहती है. और दिल्ली के लाल किले पर अपना हक़ बताती है. इतना ही नहीं इसके लिए तो इन्होनें कोर्ट में petition तक दर्ज करा दी थी.
और इनसे मिलिए ये है prince हबीबुदीन तूसी . इन्होनें भी खुद को मुगलों का वंशज बताकर लाल किले पर खुद का हक़ जताया था. इतना ही नहीं इन्होनें तो babri मस्जिद पर अपना हक़ जताते हुए ये तक कह दिया था कि उन्हें मस्जिद गिराने से कोई दिक्कत नहीं है, इनका कहना था कि वो खुद उस जमीन पर मंदिर बनाने के लिए सोने की ईट रखेंगे बस मंदिर की जमीन वो अपने नाम करना चाहते थे॥
अब आप ही बताईये इन दोनों में से कौन आपको मुगलों का वंशज लगता है? वैसे दुनिया भर में सिर्फ यही दो लोग नहीं हैं जो मुग़ल खानदान से ताल्लुकात रखते है इनके अलावा और भी बहुत लोग हैं. जो खुद को मुगलों का अंश बताते हैं. और सरकार से ख़ास facilities की गुजारिश करते हैं.
इससे पहले चलिए थोडा फ़्लैशबैक में चलते हैं,
ये उन्हीं मुगलों का खानदान है जिसके शाषक ने अपनी बेगम से बेइंतहा मोहब्बत को दिखाने के लिए दुनिया का सातवाँ अजूबा ताजमहल बनवा दिया. कहा जाता है कि ताजमहल बनवाने के बाद शाहजहाँ ने मजदूरों के दोनों हाथ कटवा दिए थे. लेकिन ये सिर्फ मिथ है क्योंकि ताजमहल के बाद ही शाहजहाना बाद को बनाया गया था. ऐसे में अगर मजदूरो के हाथ ही नहीं होते तो इसे कैसे बनाया जा सकता था. उस समय ताजमहल बनाने वाले मजदूरो को शाहजहाँ ने सिर्फ इतनी हिदायते दी थी कि कोई भी मजदुर उनके अलावा और किसी भी राजा के लिए काम नहीं करेगा.
मुग़ल वंश के आखिरी शाषक तक आते आते तक उनकी गद्दी में पॉवर कीजगह सिर्फ रुई बची थी. क्योंकि अब वो सिर्फ नाम के लिए शाषक रह गये थे. इस वश के अंत के बाद बहुत से लोग सामने आये जिन्होंने खुद को मुग़ल बताया.
जिसमे सबसे पहले बात करते है. हैदराबाद के चंचलगुदा इलाके में रहने वाली इस फॅमिली की. जो यहाँ एक किराये के मकान में रहती हैं. इस घर में रहने वाली सबसे बुजुर्ग महिला प्रिंसेस लैला उम्रहानी है जोकि मिर्जा प्यारी की पत्नी थी. इनका नाम दुनिया के सामने एक documentary के तहत आया था. जिसका नाम था the living mughal from royalty to anonymity.
लेकिन अब हम जिनकी बात करने जा रहे है ये कुछ सालो पहले ही लाइमलाइट में आये है और जब से आये है जाने का नाम ही नहीं ले रहे है. हमेशा सुर्ख़ियों में बने रहते है. इनका नाम है.. prince हबीबुदीन तूसी जिन्हें कोई और प्रिंस कहे न कहे ये खुद ही अपने आपको मुगल प्रिंस बताते हैं. इतना ही नहीं इन्होने अपने सभी प्लेटफार्म पर खुद को मुगलों का प्रिंस बता रखा है.
इन सबके बाद सबसे बड़ा सवाल ये है, कि एक इतना बड़ा साम्राज्य जो कभी हीरे जवारतो से लेस था जिसने इतने आलिशान इमारते बनवाए वो आज इस कदर कंगाल कैसे हो गये थे कि आज इनके वंशज ऐसे किराये के मकानों और झुग्गियों में रहने के लिए मजबूर हैं.चलिए ये जानते है कि मुगलों ने जाते जाते कितने की दौलत अपने पीछे छोड़ी थी.
मुग़ल साम्राज्य के आखिर शाषक बहादुर शाह ज़फर 2 को खुद का राज्य संभालने में कोई खास दिलचस्पी नहीं बची थी इसलिए जब इस साम्राज्य का सूरज डूब रहा था तब भी इन्होने अपना राज पाठ सँभालने के कोई ख़ास रूचि नहीं दिखाई. लेकिन उन्होंने 1857 के रिवोल्ट में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था. जिसके बाद जब ये विद्रोह फेल हो गया तब इन्हें देश निकाला देकर भारत से दूर ब्रिटिश कण्ट्रोल के रंगून में पटक दिया गया. और कुछ इस तरह से मुग़ल एम्पायर का सूरज हमेशा के लिए अस्त हो गया.
अब बात आती है कि जब मुग़ल सम्राज्य खत्म हो गया तो उसके बाद उनके राज पाठ में बचे हुए धन का क्या किया गया? मुगल सम्राज्य में आखिरमे कितना धन बचा हुआ था इस बात का कोई पक्का पक्का रिकॉर्ड नहीं है. क्योंकि इसका रिकॉर्ड न ही उनके मंत्रियों ने रखा था और न ही उन्हें हथियाने वाले ब्रिटिश एम्पायर ने.. लेकिन बहादुर शाह ज़फर के जाने के बाद उनके राज्य की चीजों का ऑक्शन कराया गया था. जिसमें उनके दो सिंहासन और सर के ताज को नीलाम किया गया था. ये तीनो ही चीज़े आज की तारीख में लन्दन के रॉयल कलेक्शन ट्रस्ट का हिस्सा है. इन्हें ख़रीदा था इंग्लैंड के एक ऑफिसर robert tytler ने 1860 मे. इसे खरीदने के बाद ये सारी चीज़े इन्होनें ब्रिटेन की रॉयल फॅमिली को 500 पौंड में बेच दिया था. जिसकी भारतीय रुपयों में कीमत बताये तो 62,65,946 रुपयों के करीब होगी. और ये दाम सिर्फ तीन चीजों के हैं. इनके इतिहास के मुकाबले आज इनके वंशजो के पास बहुत कम धन है.
कोलकत्ता की सुल्ताना बेगम जिन्होंने लाल किले पर अपना हक़ जताते हुए कोर्ट में petition फाइल की थी उन्हें सरकार के तरफ से महीने के आखिर में सिर्फ 6 हज़ार रुपए मिलते हैं. इसके अलावा तूसी फॅमिली के हेड हबीबुदीन तूसी गवर्मेंट जॉब से रिटायर है और हर महीने सर्कार की तरफ से इनकी पेंशन आती है. लेकिन क्या ऐसा भी है कि मुगलों की जो प्रॉपर्टी सरकार के हिस्से में है उसमें से भी इन लोगों को कुछ allot किया गया है. तो फ़िलहाल ऐसा बिलकुल नहीं है.
ऐसा भी नहीं है कि सरकार राजा महाराजाओं की प्रॉपर्टी को दबोच कर बैठी हैं. और उनमे से इन्हें कुछ भी नहीं देना चाहती है. कई ऐसे सम्राज्य है, जिनके अस्तित्व के खत्म हो जाने के बाद भी सरकार ने उन्हें रहने के लिए प्रॉपर्टी दिया है. जैसे की मालचा महल वाला फेमस केस, इसमें एक फॅमिली ने अवध के लास्ट निजाम के वंशज होने का क्लेम किया था. जिसके बाद 10 साल तक कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने के बाद सरकार ने उन्हें रहने के लिए मालचा महल दिया था.
ऐसे में अगर मुगलों के वंशजो की बात की जाए तो उनमें से कोई भी आज किसी महल में या फिर पुश्तैनी घर में नहीं रह रहे है. ये लोग या तो मिडिल क्लास फैमिलीज़ है या फिर घोर गरीबी में अपने दिन काट रहे हैं.