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रामेश्वरम मंदिर के रहस्य जानकर हैरान रह जाएंगे

भारत कई सुंदर और रहस्यमई मंदिरों का देश है,, यहाँ कई ऐसे मंदिर हैं जिनके रहस्यों को सुलझा पाना किसी के बस की बात नहीं, और ऐसा ही एक मंदिर है तमिलनाडु के रामेश्वरम (Rameswaram ) में और आज हम इस मंदिर से जुड़े कुछ ऐसे ही रहस्यों के बारे में बात करेंगे। ये मंदिर तमिलनाडु के रामनाथपुरम में बना हुआ है। साउथ में इस मंदिर को उतना ही माना जाता है, जितना उत्तर में बसा बनारस। खास बात ये है की, यहाँ ज्योतिर्लिंग में गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। यहाँ तक की इस मंदिर में बने कुंड की भी स्थापना भगवान राम ने की थी. लोग जब यहाँ जाते हैं तो वो इसकी खूबसूरती देखकर हैरान रह जाते हैं, असल में, इसके पीछे हैं इस मंदिर का गलियारा, जो की, दुनिया के सभी मंदिरों के गलयारों से सबसे बड़ा है, और यहाँ के परिसर में बने हुए “अग्नि तीर्थम” की खास मान्यता है। ऐसा माना जाता है कि इस तीर्थ में स्नान करने से सारी बीमारियाँ दूर हो जाती हैं। और इंसान के सारे पापों का नाश होता है। यहाँ के पानी को चमत्कारी माना जाता है जिससे वाकई सभी बीमारी दूरी होती है। पर ये होता कैसे है ये राज आजतक एक बड़ा रहस्य बना हुआ है। जिसे कोई नहीं सुलझा पाया।

इस मंदिर का एक बड़ा रहस्य इसके खजानों के बारे में छिपा हुआ है,, इसके बारे में  कहा जाता है, की, यहाँ  करोड़ों का धन इसके 6 दरवाजों के पीछे दबा हुआ है। हैरान करने वाली बात ये है कि यहाँ पर ट्रकों से सोना और रत्न निकाले गए हैं,,,   लेकिन अभी भी यहाँ का 7 वां दरवाजा नहीं खोला गया है। कई कोशिशों के बाद भी ये दरवाजा खोल पाने में सरकार कामयाब नहीं हो पाई है। यहाँ के पुजारियों का कहना है कि इस दरवाजे को सिर्फ कोई सिद्ध व्यक्ति ही खोल सकता है.

चार धामों में से एक तमिलनाडु के रामेश्वरम मंदिर में हर कोई जाना चाहता है, इसका जिक्र रामचरितमानस में भी है, कहा जाता है कि जब रावण ने माँ सीता का हरण किया था और भगवान राम उन्हें हर हाल में वापस लाने के प्रयत्न कर रहे थे, इसी दौरान उन्हें ये समझ आया कि बिना युद्ध के सीता माता को वापस लाना असंभव है,  ,,, और फिर राम और रावण के बीच युद्ध हुआ, जिसमें भगवान श्री राम ने रावण का वध कर दिया , जिसके बाद श्री राम, पर एक ब्राह्मण की हत्या करने का आरोप और पाप लगा,,, और इस पाप से मुक्त होने के लिए उन्होंने रामेश्वर शिवलिंग की स्थापना की।

इस मंदिर जिसके लिए भगवान श्री राम ने हनुमान जी को काशी भेजकर शिवलिंग लाने के लिए कहा, ऐसा कुछ ग्रंथों में कहा गया है , जिसमें ये भी बताया गया है की, हनुमान जी शिवलिंग लाने के लिए काशी गए जरूर,,, लेकिन उन्हें आने में देरी हो रही थी,,, तो माँ सीता ने समुद्र के किनारे रेत से ही शिवलिंग बनाई और इसकी स्थापना कर दी। और इसके बाद जब हनुमान जी शिवलिंग लेकर आए तो उसे भी वहीं साथ में स्थापित कर दिया गया। और यही वजह है की, ये दोनों शिवलिंग यहाँ के मुख्य मंदर में आज भी है,,, और इनकी पूजा की जाती है। जिसे मुख्य शिवलिंग ज्योतिर्लिंग माना जाता है।

पर क्या आप जानते हैं की, सीता जी ने खुद ही समुन्द्र के किनारे शिवलिंग बनाई पर क्यों ? असल में, सीता माता एक सही महूरत का इंतजार कर रही थीं, मुहूर्त निकल जाने के डर से सीता जी ने शिवलिंग बना दी तो हनुमान जी ये देखकर दुखी हो गए थे। भगवान राम ने उन्हें खूब समझाया लेकिन वे मानने को तैयार ही नहीं थे। कहा जाता है श्रीराम ने उनसे कहा की, आप ये शिवलिंग यहाँ से हटा दो, मैं आपकी लाई शिवलिंग स्थापित कर दूंगा। लेकिन उनके लाख प्रयास के बाद भी ऐसा नहीं हो पाया जिसके बाद दोनों शिवलिंग साथ में ही स्थापित किये गये और उसका नाम हनुमदीश्वर रखा गया। ये पवित्र मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक माना जाता है, जो की हिंदुओं का पसंदीदा स्थान भी है,,, और चार धाम की यात्रा में इसकी एक खास जगह है,,,,  इस मंदिर में मुख्य भगवान श्री रामनाथ स्वामी जी है। ये मंदिर एक समुद्री द्वीप पर बना हुआ है। जिसका आकार एक शंख जैसा है। इस द्वीप को पुराणों में गंधमादन पर्वत कहा गया है। रामेश्वर मंदिर में 9 ज्योतिर्लिंग भी मौजूद हैं, विष्यलक्ष्मी गर्भ ग्रह के पास बने हुए है,,,,  और ऐसा माना जाता है,,,, की, इसे रावण के भाई विभीषण,,, जो श्री राम के सबसे बड़े सहायक बने थे,,, उन्होंने स्थापित किया था। पर इस पर एक सवाल बार बार उठता है,,,, की, क्या वाकई रामायण काल से इसका कोई संबंध है,,, ?  तो आपको बता दें शिवपुराण में भी इस मंदिर की मान्यता के बारे में बताया गया है। ये मंदिर वास्तु के हिसाब से एक हजार फुट लंबा और 650 फुट चौड़ा है,,,  इसकी ऊंचाई 125 फुट है,,,  इस मंदिर में जो शिवलिंग है वो एक हाथ से भी ज्यादा ऊंची है। मंदिर में चारों तरफ शिवजी की खूबसूरत मूर्तियाँ बनी हुई हैं। साथ ही नंदी जी की भी बड़ी-बड़ी मूर्तियाँ बनाई गई है।

लेकिन यहाँ शिव के साथ माता पार्वती की, भी मूर्ति बनी हुई है,,, जो की बहुत कॉमन है, भई जहां शिव वहाँ पार्वती का होना लाज़मी है,,, और इनकी हर साल शोभा यात्रा निकाली जाती है,,,  इस शोभायात्रा में सोने और चांदी की गाड़ियों पर भगवान जी को बैठा कर सवारी निकाली जताई है। इस समारोह में रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग को चांदी के त्रिपुण्ड से सजाया जाता है। साथ ही गंगोत्री से लाए गए गंगाजल को यहाँ चढ़ाने की मान्यता है। जो लोग यहाँ दर्शन के लिए आते हैं वे पुजारी से गंगा जल ले सकते है।

मंदिर के कॅम्पस में 24 कुंड बनाए गए हैं। क्यूंकी ये श्री राम के चार तरकशों की तरह माने गए हैं,,,  इनका पानी तो मीठा है,,, लेकिन पीने लायक भी भी है,,, इसके अलावा मंदिर के बाहर भी कई कुएं हैं,,, लेकिन उनका पानी खारा है। मंदिर में बनाए कुओं के बारे में कहा जाता है कि इसे श्री राम ने अपने धनुष बाणों से बनाया था। भगवान राम ने कई तीर्थों से जल मँगाकर इन कुओं में डाला है,,, इसलिए इन कुओं को भी तीर्थ माना जाता है। 15 एकड़ में बना ये मंदिर कई वास्तुकला से भरा हुआ है,,,  इसे वैष्णववाद और शैववाद का संगम माना जाता है। इस मंदिर खूबसूरती देखते ही बनती है, इस मंदिर की देखरेख लगातार कई वर्षों से कई राजाओं ने की है। अब जब आप इस पवित्र स्थान के बारे में जान ही गए हैं,,,  तो जाने प्लान कब बना रहे हैं, हमें कमेन्ट करके जरूर बताएं,,, , बस बारिश के मौसम में मत जाइएगा,,,  बाकी नवंबर-दिसंबर का टाइम ठीक रहेगा।

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