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क्यों कर रही है सरकार 20 करोड़ रुपए बर्बाद? | Central vista project

दोस्तों क्या हाल है आप सभी के, कोरोना से परेशान हो, जॉब नहीं मिल रही, घर में राशन खत्म हो गया । क्यों आपने Central Vista Project के बारे में नहीं पढ़ा क्या, 20 हजार करोड़ का Central Vista Project…जिसे पूरे दिल्ली का नक्शा बदल जाएगा । अभी तक आप भी उसी पुराने पार्लियमेंट, के आगे फोटो क्लिक करा कर बोर हो गए होंगे …अब 1 हजार करो़ड़ का नया पार्लियमेंट बन रहा है अब तो मौज है..अरे अरे लेकिन नए पार्लियमेंट बनने के बाद तो आपके उस एरिया पर जाना ही बैन हो जाएगा । अरे अभी भी नहीं समझे, कोई बात नहीं Factified Special में आज 20 हजार करोड़ के Central Vista Project  का पूरा सच बताएंगे जो ना आपको प्राइम टाइम पर चीखने वाले एंकर्स ने बताया होगा और ना ही किसी अखबार के पन्ने पर आपको पढ़ने को मिला होगा 

किसे कहते हैं Central vista

दोस्तों आपने इंडिया गेट कई बार देखा होगा उसके पास राष्ट्रपति भवन और पार्लियमेंट भी घूमे ही होंगे । दोस्तों दिल्ली के इसी एरिया को Central Vista  कहा जाता है ये एरिया राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक कुल 3 किलोमीटर फैला है । जिसमें राष्ट्रपति भवन देश की पार्लियमेंट और नॉर्थ ब्लॉक साउथ ब्लॉक आते हैं जहां कई बड़े सरकारी दफ्तर है । इस एरिया को देश का पावर कॉरिडोर कहा जाता है यहीं से हम जैसी आम जनता की किस्मत का फैसला होता है और अब इसी Central Vista  का Redevelopment  किया जा रहा है जिस पर सरकार 2-5 या 10 नहीं बल्कि पूरे 20 हजार करोड़़ खर्च करने जा रही है प्रोजेक्ट टारगेट 2024 रखा गया है 

क्या है Central Vista Redevelopment Project 

दोस्तों इस प्रोजेक्ट के तहत एक नया पार्लियमेंट बनाया जाएगा..जो पुराने पार्लियमेंट से 17 हजार स्कवायर फुट बडा होगा और सारी हाई टैक सुविधाओ  से लैस होगा..पार्लियमेंट के दोनों हाउसस के लिए अलग से कॉम्पेक्स तैयार किया जाएगा जो मौजूदा श्रम शक्ति भवन में बनेगा। जिसमें 1224 पार्लियमेंट मेंबर्स के बैठने की जगह होगी। पीएम और वाइज प्रेसेंडिंट के लिए एक नया घर और ऑफिस भी बनाया जाएगा । इसके लिए अलावा नया Central secretariat और बीचों बीच एक बड़ा पार्क भी बनाया जाएगा । पुरानी पार्लिमेंट, नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक को म्यूजियम में बदला जाएगा और निर्माण भवन और विज्ञान भवन को गिराया जा सकता है.

Central Vista का इतिहास

दोस्तों आपमें से कइयों के मन में आ रहा होगा कि आखिर इन सब की जरुरत क्या है नया पार्लियमेंट नया पीएम आवास क्यों पर दोस्तों इन सवालों के जवाब से पहले जरा Central Vista के इतिहास को समझिए । 1911  में ब्रिटिश सरकार ने दिल्ली को भारत की नई राजधानी बनाया था ये तो आप जानते ही होंगे दोस्तों ब्रिटिशस ने दिल्ली को कैपिटल तो बना दिया था लेकिन अब ब्रिटिशस को कुछ नई इमारतें चाहिए थी अपनी सरकार के लिए तो इसके लिए रायसीना हिल को चुना गया । इस एरिया में ब्रिटिशस ने सभी सरकारी बिल्डिंग बनाई जिसमें राष्ट्रपति भवन, नार्थ ब्लॉक साउथ ब्लॉक, पार्लियमेंट और इंडिया गेट शामिल था । जिसे तैयार किया आर्कटेक्चर Edwin Lutyens और Herbert Baker ने । और इसलिए दोस्तों से लुटियन दिल्ली भी कहते हैं । दिल्ली का पार्लियमेंट और राष्ट्रपति 1927 में बनकर तैयार हो गए थे जबकि इंडिया गेट 1931 में बनकर तैयार हुआ 

पुराना पार्लियमेंट 

दोस्तों वीस्टा प्रोजेक्ट का मैन Attraction नई पार्लियमेंट है पर उसके बारे में बताने से पहले जरा पुरानी पार्लियमेंट को देखते हैं। दोस्तों पुराने पार्लियमेंट का डिजाइन सर्कल शेप में है ऊपर से देखने पर दोस्तों ये कुछ ऐसा नजर आता है पार्लियमेंट में तीन हाफ सर्कल चेंबर है-लोकसभा , राज्यसभा और एक लाइब्रेरी। तीनों चेंबर के बीच में सेंट्रल हॉल है जिसे राज्यसभा और लोकसभा की ज्वाइंट सीटिंग के लिए यूज किया जाता है । 

नए पार्लियमेंट की खासियत

दोस्तों अब जरा बात नये पार्लियमेंट की करते हैं क्योंकि 20 हजार के वीस्टा प्रोजेक्ट में से 972 करोड़ तो सिर्फ नई पार्लियमेंट पर ही खर्च होने है। दोस्तों नई पार्लियमेंट को पुरानी पार्लियमेंट के बगल में ही बनाया जाना है , लेकिन इसकी शेप सर्कल नहीं triangular होगी । और ये 4 मंजिल की होगी। कई लोग इसे यूएस की Pentagon से कम्पयर कर रहे हैं पर ये पूरी तरह वैसी नहीं है । नई पार्लियमेंट के हर चेम्बर को नेशनल थीम के साथ बनाया जाएगा । लोकसभा की थीम होगी नेशनल बर्ड Peacock , राज्यसभा की थीम होगी नेशनल Flower Lotus और सेंट्रल लांज की थीम होगी नेशनल ट्री बनयन ट्री…न्यू टेक्नॉलजी को इंट्रड्यूज किया जाएगा। सबकुछ पेपरलेस होगा वोटिंग बायोमैट्रिकस के जरिए होगी Mps के लिए सेपरेट VIP LOUNGE और काम करने के लिए ऑफिस भी होगा।  

क्यों चाहिए नया पार्लियमेंट 

दोस्तों आपके मन में अब ये सवाल जरुर आ रहा होगा कि जरुरत क्या है नए पार्लियमेंट की, पार्लियमेंट की बिल्डिंग ज्यादा पुरानी हो गई है क्या 

तो दोस्तों नए पार्लियमेंट बनने के लिए सरकार के पास कई दलीलें है …जिसमें सबसे बड़ी वजह है Seating Capacity । दरअसल दोस्तों मौजूदा समय में लोकसभा में केवल 550 Mp’s के बैठेने की जगह है …अब आप कहेंगे कि इस में समस्या क्या है देश की लोकसभा में चुनकर केवल 543 Mp आते हैं और देश का संविधान 552 से ज्यादा  Mps  की इजाजत नहीं देता …तो दोस्तों आपको यहां ये जानना जरुरी है कि 2026 में लोकसभा के Mps की संख्या 545 से 888 हो जाएगी । अब आप कहेंगे कि ये कैसे होगा 

दोस्तों आजादी के बाद जब Mps की संख्या तय की गई तो उस समय तय किया गया कि हर 10 साल में इस संख्या को दोबारा से बदला जाएगा । और दोस्तों इसका तर्क ये दिया गया कि सभी एमपी सेम नंबर ऑफ पॉपुलेशन को रिप्रेंजेट करेंगे। इसलिए जब भी पॉपुलेशन बढ़ेगी तब constituencies दोबारा बनाई जाएगी और जिसे Mps भी बढ़ेंगे । पर दोस्तों 1976 में Mps के नंबर को सीज कर दिया गया क्योंकि सरकार पॉपुलेशन कंट्रोल की पॉलिसी को प्रमोट करना चाहती थी। 2002 में दोबारा से हर constituency की पॉपुलेशन को चेक किया गया और कहा गया कि अभी भी जरुरत नहीं है नई constituencies बनाने के लिए और कहा गया कि अब 2026 में देखा जाएगा कि नई constituencie बनानी है या नहीं और दोस्तों अब तो आप समझ ही गए होंगे कि 2026 से पहले सरकार नई पार्लियमेंट क्यों बनाना चाहती है 

क्या जरुरी है 20 हजार करोड़ का वीस्टा प्रोजेक्ट 

दोस्तों 20 हजार करोड़ का ये प्रोजेक्ट सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है जहां सरकार ने कई दलीले दी क्यों ये प्रोजेक्ट सरकार और देश के लिए जरुरी है 

पार्लियमेंट में सीटिंग कैपेसिटी 

दोस्तों पहला कारण तो यही है कि पार्लियमेंट की सिटिंग कैपिसिटी मौजूदा समय में कम हैं जो हम आपको पहले ओलरेडी बता भी चुके हैं 

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संसद की सुरक्षा 

मौजूदा पार्लियमेंट सुरक्षा के लिहाज से कमजोर है 2002 का पार्लियमेंट अटैक तो आपको याद ही होगा । इसके अलावा मौजूदा पार्लियमेंट भूकंप विरोधी भी है या नहीं ये कहना मुश्किल है क्योंकि पार्लियमेंट के ओरिजनल मैप खो चुका है 

कम होगा सरकार का खर्चा 

वहीं दोस्तों अपनी तीसरी दलील में सरकार ने कहा कि इस वीस्टा प्रोजेक्ट से सरकार के हजारों करोड़ बचेंगे ऐसा इसलिए क्योंकि मौजूदा समय में केंद्र के कई मंत्रालय अलग अलग बिल्डिंग में है जिनके रेंट में सरकार के हजारों करोड़ खर्च होते हैं….इस प्रोजेक्ट से न्यू central secretariat बनाया जाएगा जिसे समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी । 

दिल्ली का ट्रैफिक और पाल्यूशन कम होगा 

एक आखिरी कारण जो इस प्रोजेक्ट के फेवर में है वो ये कि इस प्रोजेक्ट से दिल्ली का ट्रैफिक और पॉल्यूशन आधा हो जाएगा। मंत्रालयों में काम करने वाले कर्मचारियों दिल्ली में अलग-अलग जगह जाना पड़ता है जिसे ट्रैफिक और पॉल्यूशन बढ़ता है इसके अलावा इसमें मेट्रो स्टेशनस का इंटर लिंक भी शामिल है 

पैसों की बर्बादी है ये प्रोजेक्ट

दोस्तों जैसा कि हम आपको इस वीडियो में पहले भी बता चुके हैं कि इस प्रोजेक्ट में मैन हाई लाइट पार्लियमेंट है जिसे ये कहकर बनवाया जा रहा है कि जब लोकसभा सदस्य बढ़ेंगे तो मौजूदा पार्लियमेंट में बैठने की जगह कम पड़ेगी। लेकिन दोस्तों  कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि 1961 तक भारत की पापुलेशन नॉर्मल हो जाएगी और इसके पॉपुलेशन कम होना शुरु होगी ऐसे में सिर्फ 50-60 साल के लिए नई constituencies बनना क्या सही होगा । 

नई पार्लियमेंट के फेवर में खड़े कई लोगों का कहना ये भी है कि पार्लियमेंट की बिल्डिंग काफी पुरानी हो चुकी है…जो कोई वाजिब कारण नहीं लगता क्योंकि इटली का पार्लियमेंट 1505 में बना था और आजतक बहुत अच्छे से वर्क कर रहा है इसके अलावा यूएस का पार्लियमेंट 1793 में और यूके का पार्लियमें 1870 में बना था और इन सब में भारत का पार्लियमेंट सबसे नया है क्योंकि वो 1927 में बना था…

.खैर दोस्तों सरकार के पास तो कई वजह दे देगी नई पार्लियमेंट को बनाने के पर ये आपको कितने जस्टिफाई लगते हैं ये आप पर निर्भर करता है क्योंकि कई नेताओं का तो ये भी कहना है कि उन्हें पार्किंग की बड़ी समस्या होती है नेताजी का ये दुख हमारी और आपकी बेरोजगारी और भूखमरी की समस्या ज्यादा बढ़ा है 

कहां से आएंगे 20 हजार करोड़

दोस्तों 20 हजार करोड़ का वीस्टा प्रोजेक्ट या 3 हजार पांच सौ करोंड़ का शिवाजी स्टैच्यू प्रोजेक्ट गलत नहीं है पर ये किस समय शुरु किये गए हैं ये जरुर बड़ा सवाल है। इस समय पुरानी दुनिया कोरोना महामारी से जूंझ रही है। बड़े बड़े विकसित देशों की रफ्तार भी धीमी हो गई है और भारत की जीडीपी का क्या हाल ये हमें आपको बताने की जरुरत नहीं है । ऐसे में इन प्रोजेक्टस के लिए सरकार पैसा लाएगी कहां से  क्योंकि डॉक्टर्स को सैलेरी टाइम पर नहीं मिल रही, Government Employees का DA  बंद है, प्राइवेट वालों के पास नौकरी नहीं है पीएम फंड से सरकारी कर्मचारियों को सैलरी दी जा रही है, सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड कम पड़ जाते हैं । और अगर सरकार के पास इतना पैसा है तो वो इन्हें पहले हेल्थ और एजुकेशन सेक्टर पर लगाना चाहिए या इस प्रोजेक्ट पर  ?

दिल्ली में बढ़ेगा प्रदूषण 

दोस्तों सरकार ने अपनी दलील में कहा कि इस प्रोजेक्ट से दिल्ली का ट्रैफिक कम होगा जिसे पाल्यूशन भी कम होगा। लेकिन क्या आप  जानते हैं कि इस प्रोजेक्ट के लिए लुटियन दिल्ली के 4 सौ से ज्यादा पेड़ काटे जाने हैं, सुप्रीम कोर्ट में जब ये मामला पहुंचा तो कोर्ट ने साफ कहा कि प्रोजेक्ट के लिए कोई भी पेड़ या फिर किसी भी इमारत को नहीं ढहाया जाएगा । पर बिना पे़ड़ काटे ये प्रोजेक्ट पूरा कैसे होगा 

20 हजार करोड़ में बन सकते हैं 130 नए अस्पताल 

दोस्तों भारत में एक अस्पताल को खड़ा करने में 150 करोड़ की लागत आती है यानि की इस बजट में भारत में 130 से ज्यादा हॉस्पिटल बन सकते हैं पर दोस्तों अगर आपको ऐसा लग रहा हो कि ये पहला ऐसा प्रोजेक्ट है जहां सरकार पानी की तरह पैसा बहा रही है तो दोस्तों आप शायद 3500 के शिवाजी स्टैच्यू, 2500 करोड़ का राम स्टैच्यू और 7 हजार करोड़ की मुंबई हैदराबाद बुलेट ट्रेन को भुल गए हैं

लूटियन दिल्ली सिर्फ देश के Politicans की नहीं आम जनता की भी है और दिल्ली की वो धरोहर है जो उसके इतिहास को वक्त के साथ लेकर चल रही है ऐसे में Central Vista Project  ना सिर्फ 20 हजार करोड़ का खर्च नजर आता है बल्कि दिल्ली से उसकी पहचान भी छीन रहा है । खैर 20 हजार करोड़ का ये Central Vista Project  आपको कितना सही कितना गलत नजर आता है कमेंट करके बताएँ और ये भी क्या आपको नहीं लगता है कि सरकार को एजुकेशन और मेडकिल Facilities पर ज्यादा खर्च करना चाहिए ना कि ऐसे Redevelopming projects पर  और अगर ये post पंसद आया हो तो लाइक करें शेयर करें और Factified youtube channel को सब्सक्राइब करें….

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