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Market में मौजूद vaccines में से कौनसी बेस्ट है?

दोस्तों आपने वो कहावत तो कई बार सुनी होगी कि Precaution is better than cure….अब दोस्तों जिस तरह कोरोना ने पूरी दुनिया में आतंक मचाया हुआ है उसमें तो ये कहावत बिल्कुल फिट बैठती है…क्योंकि 18 महीने से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी दुनियाभर के साइंटिस्ट और डॉक्टर्स इस बिमारी का सही इलाज नहीं ढूंढ पाए हैं और अभी अगर कोरोना से बचने का कोई रास्ता है तो वो है वैक्सीन……………..

अब दोस्तों एक vaccine होती तो कोई कंफ्यूजन नहीं होता….लेकिन मार्केट में तो 7 से 8 तरह की वैक्सीन मौजूद हैं…..वैक्सीन बनाने वाली इन कंपनियों के बीच एक तरह का कंपटीशन भी देखने को मिल रहा है…क्योंकि हर कंपनी चाहती है कि उनकी वैक्सीन सबसे ज्यादा बिके…..जिस वजह से सोशल मीडिया पर बेस्ट वैक्सीन को लेकर फैली अफवाहों की भी भरमार है….कोई कहता है कि Suptnik V बेस्ट है…कोई कहता है Covishield बेस्ट है…अब यकीन करें तो किस पर…. 

पर दोस्तों अब आपको अपने दिमाग पर ना तो ज्यादा जोर डालने की जरुरत है और ना ही गूगल पर सर्च करके अपना दिमाग खपाने की…क्योंकि कौन सी वैक्सीन बेस्ट है इसका जवाब हम आपको देंगे बिल्कुल सिंपल और सरल भाषा में ….Factified Special के इस खास एपिसोड में…….. वो भी verified reports और सही आकड़ों के साथ……………..

पर दोस्तों पहले आप ये जानिए की वैक्सीन होती क्या है और ये कैसे काम करता है 

Vaccine क्या है  

दोस्तों वैक्सीन वायरस के सबसे कमज़ोर या निष्क्रिय अंश से तैयार की जाती हैं…दोस्तों जब वैक्सीन को शरीर में इंजेक्ट किया जाता है तो शरीर का इम्युनिटी सिस्टम वायरस की पहचान करता हैं और उसके लिए शरीर में एंटी बॉडी सेल्सस डेवलप करता हैं…जिससे शरीर बिमारी से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाता है और उस बिमारी के होने के चांसस बहुत कम हो जाते हैं…

दोस्तों दुनिया भर के वैज्ञानिक और डॉक्टर्स वैक्सीनेशन को किसी भी दवाई से बेहतर मानते हैं कि क्योंकि वैक्सीनेशन बिमारी का इलाज नहीं करती है बल्कि उस बिमारी को होने से रोकती है 

दोस्तों मेडिकल साइंस में किसी भी बिमारी के वैक्सीन को तैयार करने के चार तरीके हैं….

  1. Whole Virus 
  2. Protin Subnuit
  3. Nucleic Acid 
  4. और Viral Vector 

दोस्तों कुछ वैक्सीन को बनाने में पूरा वायरस इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन ये सबसे कमजोर वायरस होता है जो शरीर को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचा सकता…वीक वायरस को इंजेक्ट करने से शरीर वायरस को अच्छे से पहचान पाता और उसके लिए शरीर में एंटी बॉडी सेल्स तैयार करता है..ऐसी वैक्सीन Whole Virus टाइप होती है….

वहीं कुछ वैक्सीन में पूरा वायरस इस्तेमाल नहीं किया जाता है बल्कि उसकी जगह पर वायरस के प्रोटीन को इस्तेमाल किया जाता है ताकि शरीर प्रोटीन की पहचान कर वायरस से लड़ने के लिए अपने आप को तैयार कर लें….ऐसी वैक्सीन Protien subunit ‘type होती हैं

Nucleic Acid से तैयार होने वाली वैक्सीन में वायरस के जैनटिक सेल्स यानी की RNA या DNA का इस्तेमाल किया जाता है..इस फॉर्मूले से वैक्सीन बनाना आसान और सस्ता होता है…इसे MRNA टाइप भी कहा जाता है…इस टाइप की वैक्सीन को रखने के लिए -70 सेलसियस से कम तापमान की जगह की जरुरत पड़ती है..

वहीं दोस्तों Viral Vector टाइप वैक्सीन की बात करें तो…ये वैक्सीन भी जेनटिक सेल्स से तैयार की जाती है लेकिन ये MRNA से अलग होती है…क्योंकि इस वैक्सीन को तैयार करने के लिए Harmless virus का इस्तेमाल किया जाता है जिसे adenovirus भी कहते हैं…इस वायरस के कारण हमें नॉर्मल जुकाम होता है

दोस्तों क्लीनिकल ट्रायल में MRNA टाइप वैक्सीन को सबसे ज्यादा इफेक्टिव पाया गया….जबकि प्रोटीन से बनी वैक्सीन सबसे कम इफेक्टिव है….

हालांकि दोस्तों मार्केट में आपको ये चारों तरह की वैक्सीन मिल जाएगी….और इन चारों तरह की वैक्सीन का इस्तेमाल अलग-अलग परिस्थितियों में किया जा सकता है..

दोस्तों वैक्सीन का टाइप कुछ भी हो लेकिन वैक्सीन का मोटिव शरीर में वायरस के लिए एंटी बॉडी सेल्स तैयार करना और इम्युनिटी को स्ट्रांग करना ही होता है….

दोस्तों वैक्सीन को लेने के बाद अक्सर बुखार, शरीर दर्द और कमजोरी महसूस होती है…लेकिन ये कोई घबराने वाली बात नहीं है…क्योंकि शरीर में इन लक्षणों के दिखने का मतलब है कि वैक्सीन शरीर में काम कर रही है….

दोस्तों अब आप ये तो समझ गए होंगे कि वैक्सीन क्या है, कैसे काम करती है और क्यों जरुरी है…चलिए अब आपके इस सवाल पर आते हैं कि मार्केट में मौजूद कौन सी वैक्सीन आपके लिए बेस्ट है…..कोवीशील्ड, Covaxin, Sputnik या फिर कोई और वैक्सीन…..

दोस्तों कोई वैक्सीन कितनी प्रभावशाली है..इसका पता Efficacy Rate से लगाया जाता है… 

Efficacy rate क्या है 

दोस्तों Efficacy Rate यानि की किसी मेडिसन या वैक्सीन की प्रभावशील होने की समक्षता दर …दोस्तों आसान भाषा में कहूं तो Efficacy Rate से पता चलता है कि कोई मरीज किसी वैक्सीन को लगाने के बाद कितना सुरक्षित है …

दोस्तों जरा अब इस वैक्सीन चार्ट पर नजर डालिएं…यहां पर

यूएस की Pfizer Biontech और Moderna वैक्सीन का  Efficacy Rate सबसे ज्यादा है…

Pfizer Biontech का Efficacy Rate 95 प्रेसेंट और Moderna का  Efficacy Rate 94 प्रेसेंट है…..

वहीं Russion Vaccine Sputnik V का Effeicacy Rate 92 percent है 

इंडियन वैक्सीन Covaxin का Efficacy Rate 81 प्रेसेंट है..

इसके अलावा इंडिया में ही बनी एक और वैक्सीन Covishield जिसे Oxford-AstraZeneca भी कहा जाता है उसका Efficacy Rate 70 प्रेसेंट है….

इसके अलावा मार्केट में Novavax और Johnson & Johnson भी Available है 

जिनका Efficacy rate 89 percent और 66 प्रेसेंट है …..

अब कहेंगे तो ऐसे तो बेस्ट वैक्सीन को पहचानना बहुत आसान है…क्योंकि Pfizer biontech, Moderna का Efficacy Rate सबसे ज्यादा है तो यही बेस्ट वैक्सीन है……

आप में से कोई भी Covishield और Johnson & Johson वैक्सीन नहीं लगाना चाहेगा…क्योंकि इनका Efficacy Rate सबसे कम है…..

पर दोस्तों आप यहां गलत है..क्योंकि अगर सिर्फ Efficacy Rate के बेस पर बेस्ट वैक्सीन को चुना जाता तो दुनियाभर के देशों में Covishield की भारी मांग नहीं होती…और ना ही बड़े बड़े देशों को भारत Covishield  एक्सपोर्ट कर रहा होता…

दोस्तों Vaccine Efficacy Rate क्लीनिकल ट्रॉयल में शामिल हुए लोगों की लोकेशन, जेंडर, Numbers of Corona cases, immunity system और Virus Varient पर निर्भर करता है……. ये जरुर नहीं कि हर वैक्सीन का Efficacy Rate Covid के हर वैरिंएंट पर सेम हो….यानि Vaccine का Comparison करना बेवकूफी है….

चलिए दोस्तों आपको उदाहरण देकर समझाते हैं

दोस्तों यूएस  में लगातार कोरोना केस बढ़ने के बाद Pfizer Biontech को Fda  यानि की Food and Drugs Admistration ने Emergency Use की इजाजत दी थी 

दोस्तों  Pfizer Biontech का    क्लिनिकल ट्रायल पहले स्टेज में 10 हजार लोगों पर किया गया था..ये 10 हजार लोग दो ग्रुप्स में बांटे गए – placebo group और vaccine ग्रुप ……

क्या होता है Placebo

दोस्तों placebo एक harmless inactive substance होता है जिसे मेडिसन या वैक्सीन के रुप में लोगों को दिया जाता है…इससे Volunteer करने वाले लोगों के शरीर को कोई नुकसान नहीं होता…लेकिन ये एक्चुअल वैक्सीन नहीं होती है…कई सालों से इस Method को क्लीनिकल ट्रायल में इस्तेमाल किया जा रहा है…

क्लीनिकल ट्रायल के लिए लोगों में से आधे लोगों को placebo दिया गया जबकि आधे लोगों को रियल वैक्सीन लगाई गई और फिर इन लोगों को इनकी लाइफ जिन्हें के लिए छोड़ दिया गया..

1 महीने बाद जब दोबारा इन सभी लोगों का चेकअप किया गया तो 170 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए…इन 170 लोगों में 162 लोग placebo group के  थे यानि की वो लोग जिन्हें क्लिनिकल ट्रायल के दौरान रियल वैक्सीन नहीं लगाई गई… और 8 लोग वो थे जिन्हें वैक्सीन लगाई गई थी…..

यानि कि दोस्तों Efficacy rate ये बताता है कि एक व्यक्ति जिसे वैक्सीन नहीं लगी है उसके मुकाबले Vaccinated व्यक्ति को कोरोना होने के कितने प्रतिशत कम चासंस है…. 

 लेकिन दोस्तों यहां पर ये देखना भी जरुरी है कि इस वैक्सीन के ट्रायल कब किए गए थे….

दोस्तों Pfizer Vaccine का क्लिनिकल ट्रायल यूएस में अगस्त 2020 से नंवबर 2020 के बीच किया गया था और इसी समय Moderna Vaccine का ट्रायल भी Usa में किया गया….

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दोस्तों इस दौरान यूएस में कोविड केस काफी कम थे…..जिस वजह से दोनों ही वैक्सीन का Efficacy rate 95 प्रेसेंट और 94 प्रेसेंट रहा…यानि की दोनों वैक्सीन उस समय यूएस में फैले कोरोना वैरिंएंट पर असरदार थी…

लेकिन दोस्तों Johnson & Johnson वैक्सीन का यूएस ट्रायल नंवबर 2020 से जनवरी 2020 के बीच किया गया..जब यूएस में कोरोना केसस पीक पर थे….और कोरोना के नए वैरिएंट भी मिल रहे थे…

यूएस के अलावा Johnson & Johnson के ज्यादातर ट्रायल brazil और साउथ अफ्रीका में हुए थे…जहां केसस तो ज्यादा थे ही, साथ ही कोराना के न्यू वैरिएंट भी मिल रहे थे…

 South Africa में कोरोना का B.1.351 वैरिएंट का पहला केस अक्टूबर 2020 में मिला…जबकि ब्राजील में कोरोना का p.2 वैरिएंट का पहला केस नंवबर 2020 में मिला था…

 जिस वजह से दोस्तों Johnson & Johnson के क्लिनिकल ट्रायल में भी ज्यादातर केसस कोरोना के वैरिएंट B.1.351  और P.2 के थे…जो Actual Variant से बिल्कुल अलग थे लेकिन दोस्तों फिर भी johnson & johnson का Efficacy rate 66 प्रेसेंट रहा..यानि की दोस्तों Johnson & johnson कोरोना के नए वैरिएंट पर भी असरदार है… 

दोस्तों भारत के Serum Institute of India  में बनी Covishield की बात करें तो भारत में इस वैक्सीन का Efficacy Rate 63 प्रेसेंट है…जबकि  Brazil और यूके में इसका Efficacy Rate 90 प्रेसेंट है..

दोस्तों ये वैक्सीन कोरोना के साउथ अफ्रीका में पाए गए वैरिएंट पर भी थोड़ी बहुत असरदार है, लेकिन यहां इसका Efficacy Rate ज्यादा नहीं है…दोस्तों Covisheild  का ओवरओल Efficacy Rate 70 प्रेसेंट है…..

दोस्तों ICMR का कहना है कि Oxford-AstraZeneca पहले डोज के बाद बाकी वैक्सीन के मुकाबले ज्यादा स्ट्रांग इम्युनिटी डेवलप करती है….

दोस्तों अब आप किसे बेस्ट कहेंगे Pfizer, Johnson & Johnson या फिर Covishield ….

दोस्तों सच्चाई तो ये है कि इन सभी वैक्सीन के Efficacy Rate क्लिनिकल ट्रायल पर बेस्ड हैं यानि की रियलिटी से बिल्कुल अलग….

असल में कौन सी वैक्सीन कोरोना के किस-किस वैरिंएंट पर कितनी असरदार है, इसका पता लगाने के लिए अभी काफी वक्त लगेगा…क्योंकि अभी कोरोना के नए-नए वैरिएंट डेवलअप हो रहे हैं…

ऐसे में दोस्तों अभी इन वैक्सीन का Comparison करना और ये कहना कि ये वैक्सीन बेस्ट है …हमें यही वैक्सीन लगानी है…..ये बेवकूफी है……

दोस्तों अब आपके मन में भी सवाल आ रहा होगा कि फिर वैक्सीन का चुनाव कैसे करें ….

दोस्तों अगर कोई महामारी फैलती है तो लोग इन 6 परिस्थितियों से गुजरते हैं….

  1. No Infection  

वो व्यक्ति जिसका Immunity System Already इतना स्ट्रांग होता है कि उसे इनफेक्शन नहीं होता

  1. Infection without symptoms – वो लोग जिन्हें इनफेक्शन तो होगा, लेकिन बिमारी के कोई लक्षण नजर नहीं आएंगे..
  2. Moderate Symptoms – दोस्तों ये वो लोग होते हैं जिनमें महामारी के हल्के लक्षण देखने को मिलते हैं जैसे जुकाम, खांसी और हल्का बुखार…ऐसे लोग होम आईसोलेशन में ही ठीक हो जाते हैं..
  3. Severe symptoms – दोस्तों Severe symptoms होने पर मरीज को हाई फीवर, बॉडी पेन और लू मोशन जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं…
  4. Hospitalized – दोस्तों इस परिस्थिति में मरीज गंभीर रुप से बिमार पड़ जाता है और उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ता है
  5. Death   – इस परिस्थिति में मरीज का शरीर बिमारी से लड़ नहीं पाता और उसकी जान चली जाती है

दोस्तों हमें लगता है कि वैक्सीन का काम हमें इनफेक्शन से बचाना होता है…लेकिन असल में वैक्सीन का काम होता है लोगों को बिमारी के गंभीर लक्षण, अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु दर को रोकना….

यानि की दोस्तों वैक्सीन लगाने के बाद अगर किसी व्यक्ति को कोरोना हो भी जाता है, तो वायरस उसकी बॉडी को ज्यादा इफेक्ट नहीं कर पाएगा 

और ना हीं उसे कोरोना के गंभीर लक्षण जैसे तेज बुखार और बॉडी पेन होगा ना ही मरीज को अस्पताल में भर्ती करना पड़ेगा…जिसे मृत्यु दर में अपने आप गिरावट आ जाएगी…

ऐसे में अगर आप बेस्ट वैक्सीन चुनना चाहते हैं तो Efficacy Rate देखकर नहीं Severe Symptoms, Hospitalized और mortality rate में वैक्सीन कितनी इफेक्टिव है ये देखकर चुनने…

और दोस्तों अच्छी बात ये है कि मार्केट में मौजूद सभी वैक्सीन में तीनों परिस्थितियों को रोकने की 100 % सक्षमता है….क्योंकि हर वैक्सीन के क्लीनिक ट्रायल में Hospitalization और Death Rate जीरो है….

यानि की दोस्तों वैक्सीन कोई भी हो …जरुरी है कि आप वैक्सीन लगाएं और पूरी तरह सुरक्षित रहने के लिए वैक्सीन के दोनों डोज लें……..और बेस्ट वैक्सीन का दावा करने वाले पोस्ट्स के झांसे में आकर पैसा वेस्ट ना करें….

तो दोस्तों उम्मीद है कि वैक्सीन को लेकर आपका ये भ्रम टूट गया है और आपका कंफ्यूजन दूर हुआ होगा… दोस्तों factified special में आज के इस पोस्ट में बस इतना ही…अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई तो लाइक शेयर जरुर करें….और अगर आप चैनल पर नए हैं तो Factified Hindi यूटब चैनल को सब्सक्राइब जरुर करें… 

अगले हफ्ते हम हाजिर होंगे ऐसे ही किसी टॉपिक के साथ …जिसका सच जानना आपके लिए जरुरी है….तब तक आप अपना ख्याल रखिए …अपने चाहनों वालों को अफवाहों से दूर रखिए

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