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नहीं लगती मंडी फिर भी कहते है Mandi House

अगर नहीं लगती कोई मंडी तो कैसे पड़ा Mandi House नाम.. और कभी सोचा है ट्रैफिक कैमरा क्या होता है..जिसकी नजर से आप बच नहीं सकते? और कैसे सिर्फ एक तार से चलती है Train?

नंबर-8 

भई दिल्ली का Mandi House किसी Art हब से कम नहीं…उंची -उची Building और NSD से पहचाना जाने वाली ये जगह.. आखिर फेमस कैसे हुई..और कैसे एक भी Mandi न होते हुए भी..पड़ गया ये नाम ..असल में इसके पिछे भी एक कहानी है..साल 1940 में रियासत हुआ करती थी..जिसके राजा थे Joginder Sen..और दिल्ली की इस जगह पर इन्ही का कब्जा था..जो J Circle के नाम से मशहूर थी.

वक्त के साथ इनका टाइम खत्म हुआ..और साल 1970 में ये जगह आई Government के कब्जे में..क्योंकि उस टाइम Government offices के लिए प्लेस चाहिए था..तो Mandi House को चुना..इसलिए यहां आपको offices से लेकर Art हब मिलेंगे..यहां सबसे पहले Doordarshan को बनाया..और फिर NSD और  कई सारी academy.. जो आज मंडी हाउस की पहचान है..

नंबर-7

जब सड़क चौड़ी हो और आसपास की गाड़ी रूक जाए ..तो समझ लेना सामने कैमरा है.. लेकिन कई लोगों को इसके बारे में पता नहीं होता.. और अपनी गाड़ी हवा की तरह उड़ाकर ले जाते है…लेकिन कभी सोचा है कि Speed Camera आखिर लगा क्यों होता..और इसका काम किया होता है..आइए जानते है…असल में इस कैमरे काम होता है..Over Speed, Line Violation जैसे Cases पर चालान कटना..अगर कोई Traffic Police की नजर से बच जाए..तो इसके Capture से नहीं बचता.

ये Photography और Video एविडेंस के साथ Fine करता है…और इसलिए दिल्ली के ड्राइवर भी इससे डरते है..वैसे तो speed camera कई तरह के होते है.. लेकिन चालान के लिए ज्यादातर gantry pole mounted यूज होते है.. ये IP66 rated high resolution camera 24 घंटे और -5 से लेकर 55 degree में भी काम करता है। इसके अलावा इसमें एक सिस्टम होता ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉडक्शन यानी ANPR..और इसी से कभी कोई गाड़ी हवा की तरह निकल जाती है..ये Number pelate scan कर लेते है..और फिर ये डेटा centralise कंट्रोल room में ..जिसे manually verify करके ..National informatic center भेजा जाता है.. और यही चालान जनरेट करता है..तो कभी भी सड़क पर कैमरा सिंबल बोर्ड दिखे..तो समझ लेना आगे ट्रैफिक का खतरा.

नंबर-6

अपने कभी न कभी Train में तो सफर किया होगा..लेकिन कभी सोचा है की Train एक तार पर ही क्यों चलती है..जबकि घरों में तो दो तार यूज होते है.. जो लाइन और न्यूट्रल वायर होते है.. और जब तक ये दोनों कनेक्ट नहीं होंगे.. तो तब तक कोई Electrical Device चलेगा ही नहीं..लेकिन फिर Train कैसे Signal तार पर चल जाती है.. तो देखिए Train के केस में क्या होता है.. Pantograph लाइन वायर से कनेक्ट रहता है..और इसी के रास्ते मोटर तक करंट आ जाता है.. क्योंकि Train का Wheel पटरी पर रहता है..जिसे जमीन से कान्टैक्ट किया है..जिससे Train को पटरी से न्यूट्रल मिल जाता है..और उपर से फेज..और इस तरह से Train स्टेशन पर दौड़ती है..यानी की Train को भी दो फेज की जरूरत होती है…लेकिन हमें दिखता नहीं.

नंबर-5

हर देश की अपनी आर्मी होती है..जो Mission करने के लिए अपनी जान पर खेल जाती है..वहीं America की एक ऐसी Army थी ..जिसने दुशमन के सैनिकों को ही ठग लिया था.. वो भी एक या दो नहीं बल्कि 1 हजार से ज्यादा को? वो कैसे बताते है.. दरअसल 20 जनवरी 1944 को US ने अपनी सीक्रेट आर्मी को Germany से लड़ने England भेजा.. और कुछ ही दिनों में उनका सामना हुआ Nazi Army से.. जो Germany की खतरनाक आर्मी है.

इन्हें Trend तो ऐसे किया गया की 1100 सैनिक 10 हजार को भी हरा दे..लेकिन Nazi Army थोड़ी ज्यादा थी.. लेकिन फिर भी ठगे गए.. असल में War के टाइम बड़े-बड़े लाउडस्पीकर यूज किए..जिसमें Army Tanks चलने..बम फटने ..और फायरिंग होने की अवाजें निकली..ताकि Nazi Army Confounse हो जाए..आखिर सैनिकों की सख्या है कितनी…और चौंकने की बात तो है कि ये बात किसी को पता ही नहीं चली…और ऐसा एक Book The Ghost Army of World War II..जिसमें यही लिखा है की आर्मी ने कैसे बड़ी चालकी से Nazi आर्मी को ठगा।

नंबर-4

ये तो आप जानते है इंडियन रेलवे में ..Goods, Tank Wagon,और Passenger Wagon लगे होते है..लेकिन एक और train है जिसे मिक्सड Wagon कहते है….अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें तो आपने सफर ही नहीं किया..तो फिर ये क्यों होती है..तो दोस्तो ये सफर के लिए नहीं, बल्कि ये जानवर या कोई समान को थोड़ी क्वानीटी में एक जगह से दुसरे जगह..ले जाते है..तब एक या दो Type के Goods Wagon को कनेक्ट कर दिया जाता है..और इसलिए इन दो Wagon के लिए एक Locomotive का यूज नहीं कर सकते..इसलिए इसे उस Rute पर जाने वाले किसी Passenger Train से जोड़ देते है..अब क्योंकि जानवारों को पानी पीने की भी जरूरत हो सकती है..तो इसके Tank Wagon को जोड़ दिया जाता है..जो बन जाती है Mixed Train..

नंबर -3

अब वो दिन दूर नहीं जब Petrol Pump पर आपको कर्मचारी ही नजर नही आएंगे..और आपका Fuel खुद ही गाड़ी में भर जाएगा.. सुनकर हैरानी हुई न.. दरअसल Finland में ऐसा हो रहा है..जहां इंसान नहीं बल्कि Robot Fuel डालते है..अब आप ये सोच रहे होंगे की इसे कैसे पता चलता है..हमें Fuel डलवाना है या गैस..तो ये होता गाड़ी के नंबर स्कैन करने से..इसके पास जैसे ही कार आकर खड़ी होती है..तो ये Robot Petrol भरने लगता है..गाड़ी के नंबर को देखकर ये समझ लेता है..इतना ही नहीं ये Fuel की टंकी भी खुद खोलता है..और तो और Fuel भरते ही  Robot में लगा सेंसर ये बता देता है की टंकी फुल हो चुकी है.. है न मजेदार. 

नंबर-2

अपने Train में कभी न कभी सफर किया होगा..लेकिन कभी इसे Wheel के बारे में सोचा है..ये कैसे बनते है..और इतने Strong क्यों होते.. अगर नहीं सोचा तो परेशान न हो..हम बातते है Train केHeavy Wheel कैसे तैयार होते है..और इंडिया में ये Wheel कहा बनता है..सबसे पहले इसे बनाने के लिए मोटे रोड को छोटे-छोट पीस करके..भट्टी में डाला जाता..बिल्कुल वैसे जैसे किसे लोहे की चीज को बनाने के लिए किया जाता है..और इसे बिल्कुल रेड होने तक गर्म किया जाता है.. उसके बाद दी जाती है इसकी Shape..जिसमें यूज होती है Pressure Machine.

और जब इस Wheel Shape में कर दिया जाता है..तब दुसरे Machine इसे रोल करके slot बनाया जाता है.. फिर एक Different Machine से होल करके…इसकी साइज चेक होती है..और जब सबकुछ ठीक होता है तो..इसे पानी से ठंडा करके Extra पार्ट हटा के चकमा दिया जाता .. फिर लगता है इसमें axle..और इसके बाद इसे ट्रेन में यूज करने के लिए भेज दिया जाता है..जो आपके सफर को आसान बनाती है.

नंबर-1

दुनिया में अपने ऐसी कई जगह या भूतिया हवेली के बारे में सुना होगा..लेकिन कभी ऐसा Mandir देखा है..जहां से कोई जाते ही मौत हो जाती है.. नहीं न..दरअसल Turkey के Hierapolis शहर में एक ऐसा पुराना Mandir है..जहां जाते ही इंसान खत्म..कहा जाता है यहां एक इंसान राहस्यम तरीक से मौत हो गई थी.. जिसके बाद उसकी आत्मा घूमती रहती है..लेकिन हां Scientifically कुछ और ही बात है.. असल में एक गहरा Hole है.. जिसमें से Toxic Gas निकलती है.. और इसमें मिली होती है carbon dioxide.. जो एक बार Smell कर ले..वो सीधा उपर जाता है.. हैरानी की बात तो ये है की ये सुबह और शाम के टाइम ज्यादा Affected करती है..क्योंकि इसी टाइम लोग मंदिर ज्यादा आते है.. ये भी कहा जाता है इस Toxic Gas की वजह से ही यहां के पुजारी की मौत हो गई थी..

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