दोस्तों आज की इस post में हम आपको बताएंगे मनुष्य कैसे आया इस धरती पर और कैसे हुई पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत आज से लगभग 4 हजार अरब साल पहले हमारे इन महासागरों में जीवन की सुबबुगाहट होने लगी थी…हाईड्रोजन, हीलियम, कार्बन और नाइट्रोजन के मिलने से जीवन के लिए अवश्यक तत्वों का निर्माण होने लगा था…पृथ्वी पर जीवन समुद्र की गहराइयों में एक सूक्ष्म जीव के रुप में शुरु हुआ….करोड़ों सालों तक ये सूक्ष्म जीव समुद्र की गहराइयों में पलते रहे …सूक्ष्म जीव प्राकृतिक रुप से सरल थे लेकिन बाद में इन सूक्ष्म जीवों से कई जटिल जीवों का जन्म हुआ….करीब ढाई लाख अरब साल पहले इन सूक्ष्म जीवों ने सूर्य की किरणों को अपने जीने के लिए इस्तेमाल किया इन्होंने सबसे पहले उस तत्व का निर्माण किया जो पृथ्वी पर जीवन का आधार है और वो तत्व ऑक्सीजन था….ऑक्सीजन के अस्तित्व में आने से पृथ्वी पर जीवन संभव हो गया….उन दिनों महासागर में आयरन की मात्रा बहुत अधिक थी..ऑक्सीजन और आयरन के मिलने से जंक का निर्माण होने लगा और समुद्र की गहराइयों में मौजूद आयरन जंक का रुप लेने लगा…इससे महासागरों में आयरन की मात्रा कम हो गई और जंक की एक मोटी परत महासागर की गहराइयों में बिछ गई…ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने से अब महासागरों में सूक्ष्म जीव जीवाणुओं में बदलने लगे ….इन 2 लाख अरब सालों में पृथ्वी बदल गई थी..
जीवाणु ऑक्सीजन का इस्तेमाल कर महासागरों में जटिल जीवों का रुप लेने लगे थे….लेकिन महासागर से बाहर धरती पर अभी भी जीवन शुरु नहीं हुआ था…लगभग 50 करोड़ साल पहले पहला जलचर जिसमें केवल एक हड्डी थी उसने महासागर में जन्म लिया ….
ये जीवन की क्रान्ति में पहला कदम था…करीब 4 अरब सालों तक जीवन केवल पानी में ही संभव था…महासागर की गहराईयों में कई जलचर और पौधे सांस ले रहे थे….लेकिन जब ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने लगी और पृथ्वी के वायुमंडल में फैल गई जिससे ऑजोन लियर का निर्माण हुआ जो पृथ्वी पर सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाव और जीवन के लिए जरुरी थी…
अब पृथ्वी पर भी पेड़ पौधे उगने लगे और 40 करोड़ साल में पृथ्वी पूरी तरह हरे भरे जंगल में बदल गई…
और लगभग 40 करोड़ साल पहले एक जलचर ने धरती पर कदम रखा और धरती पर जीवन की शुरुआत हुई …वो धरती पर रहने वाले हम जैसे अरबों जीवों के पूर्वज थे..इसके बाद 25 करोड़ साल पहले बिग बैंग के विस्फोट के बाद भयंकर ज्वालामुखी विस्फोट हुआ..जिसे पूरी पृथ्वी कार्बन डाइऑक्साइड से भर गई…और धरती पर मौजूद जीवों का अंत हो गया…
आपको बता दूं कि हमारी पृथ्वी पर ऐसे विस्फोट 5 बार हो चुके हैं…और हर विस्फोट के बाद जहां कई प्रजातियां विलुप्त हुई हैं…
वहीं उनकी जगह कई नए जीवों ने धरती पर जन्म लिया है….और इसी क्रम में उत्पत्ति होती है डायनसोर्स की…उस समय पृथ्वी का तापमान सामान्य था….सूरज की खिलखिलाती धूप… समुद्र की ठंडी लहरें…आसमान छूते बड़े बड़े हरे भरे पेड़….और चारों तरफ डायनसोर्स के चीखने चिघाड़ने की आवाजें…
डायनसोर्स की कई हजार प्रजातियां पृथ्वी के कोने कोने में बिखरी हुई थी…डायनसोर्स करीब 16 करोड़ साल तक पृथ्वी पर रहे….
डायनसोर्स के समय में भी कई छोटे जीव थे, लेकिन डायनसोर्स के होते हुए उस समय इन जीवों के लिए विकसित होना नामुनिकन था…..
पर जहां एक तरफ पृथ्वी पर डानसोर्स आराम से जिंदगी जी रहे थे..वहीं आज से करीब 10 करोड़ साल पहले ही अंतरिक्ष में डायनसोर्स के अंत की कहानी लिखी जा चुकी थी..जब सुदूर अंतरिक्ष से आ रहा 6 मील लंबा एक धुमकेतु का टुकड़ा पृथ्वी से 20 करोड़ मील दूर मौजूद मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच मौजूद एक बड़े धुमकेतु से जा टकराता है…
इस विस्फोटक टकराव से धुमकेतु की दिशा बदल जाती है और ये धुमकेतु 22 हजार मील की रफ्तार से पृथ्वी की तरफ बढ़ने लगता है…
जब ये धुमकेतु पृथ्वी से 3,84000 मील दूर था तब ये एस्ट्रोयड पृथ्वी के उपग्रह चांद के बहुत ही नजदीक से गुजरा…अगर उस वक्त ये धुमकेतु चांद से टकरा जाता तो शायद डायनसोर का अंत नहीं होता…लेकिन डायनसोर्स का अंत लिखा जा चुका था….
2 ट्रिलियन मैट्रिक टन का ये धुमकेतु जब पृथ्वी के वातावरण के संपर्क में आया तो इसकी रफ्तार और तेज हो गई और अब ये धुमकेतु 70 हजार मील की रफ्तार से धरती की तरफ बढ़ने लगा…
और जैसे ही इस धुमकेतु ने पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया तो घर्षण के कारण ये धुमकेतु आग के गोले में बदल गया…
इस धुमकेतु की रफ्तार इतनी तेज हो गई थी कि इसने सिर्फ 4 मिनट में अटलांटिक Ocean को पार कर लिया और इस धुमकेतु में लगी आग इतनी तेज हो गई थी…कि इस धुमकेतु के धरती पर टकराने से पहले ही कई जीव इस धुमकेतु की दहकती आग के कारण अंधे हो गए थे और गर्मी के कारण मरने लगे थे…और फिर कुछ सेकेंड्स के बाद ये धुमकेतु मैक्सिको के पास एक खाड़ी से टकरता है और इस टकराव से 35 हजार डिग्री सेल्सियस का भयानक विस्फोट हुआ…जो 10 हाईड्रोजन बम के विस्फोट से भी ज्यादा खतरनाक था…
इस विस्फोट से मैक्सिको की घाटी में 180 किलोमीटर चौड़ा और 120 किलोमीटर गहरा गड्ढा बन गया…
इस साल फरवरी 2021 में ब्रुसेल्स के ब्रिजे यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मैक्सिको की खाड़ी में मिली धुमकेतु की धूल से इस भयानक विस्फोट का खुलासा किया था….भयनाक विस्फोट के कारण धरती पर मौजूद हजारों टन मिट्टी, धातु और पत्थर उड़कर आसमान में धूल में बदल गए…
इस विस्फोट से रेडियेशन की मात्रा भी इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि इस विस्फोट से 800 किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी डायनसोर बस कुछ ही सेकेंड्स में राख में बदल गए…
वहीं धुमकेतु के टकराने से धरती के अंदर 11.1 तीव्रता से भूंकपीय तरंगे उठने लगी….इन भूंकपीय तरंगों के कारण सुमद्र में विशालकाय लहरों से भयानक सुनामी आने लगी…तो वहीं दूसरी तरफ तेज भूंकप के कारण सभी सक्रिय ज्वालमुखी भी दहकाने लगे और ज्वालमुखी से निकलता लावा जंगलों की तरफ बढ़ने लगा….
डायनसोर्स के अंत की शुरुआत हो गई थी…विस्फोट के कारण जो धातु पत्थर और धूल उड़कर आसमान में गई थी…वो Gravitational Pull के कारण कुछ वक्त बाद आग के गोलों के रुप में धरती पर वापस गिरने लगी….और जो डायनसोर्स विस्फोट से किसी तरह बच गए थे वो इन आग के गोलों की चपेट में आ गए…धरती पर हर तरफ सिर्फ विनाश हो रहा था…ज्वालामुखी विस्फोट, भूंकप, सुनामी और आग के गोलों की बारिश ने डानयसोर्स के जिंदा रहने का हर रास्ता बंद कर दिया ..
और जो कुछ जीव इस विस्फोट में भी बच गए उन्हें भुखमरी ने मार डाला और आखिर में केवल वही जीव जिंदा रहे जिनका वजन 30 किलो से कम था….और जो खुद को बचाने के लिए जमीन के नीचे छिप गए थे….डायनसोर्स का अंत हो चुका था और धरती फिर से सामान्य होने लगी थी…
विस्फोट में जो 5 प्रतिशत छोटे जीव बच गए थे उनमें Abdicative Radiation के कारण बदलाव होने लगे और नई प्रजातियों का जन्म हुआ ….और अब धरती पर जन्म हुआ स्तनधारियों का…….इन जीवों में चार पैर पर चलने वाले स्तनधारी जीव थे….Eocene Epoch में साढ़े पांच करोड़ साल पहले बंदर जैसे दिखने वाले स्तनधारी जीवों का जन्म हुआ जिनकी आंखें सिर में आगे की तरफ थी और ये चार पैरों पर चला करते थे…ये थे हम मनुष्यों के पूर्वज….वक्त के साथ इनके शरीर में बदलाव होने लगे …और ये बंदर, लंगूर और गोरिल्ला में बदलने लगे…
शुरुआत में हमारे पूर्वज यानी बंदर पेड़ों पर ही रहा करते थे लेकिन आज से करीब एक करोड़ साल पहले धरती के प्लेटोनिट प्लेटों में हलचल से कई पर्वतीय श्रृंखला बनी……..इस टकराव से हिमालय पर्वत श्रृंखला का भी जन्म हुआ….इन नई पर्वतीय श्रृंखलाओं के कारण जंगल कटने लगे और जमीन पर घास के मैदान बनने लगे..
हमारे पूर्वज यानी बंदर पेड़ों से उतरकर जीवन के नए नए तरीके खोजने लगे…वो अब चार पैरों की जगह दो पैरों पर चलने लगे थे….
खाना इकट्ठा करने के लिए हाथों का इस्तेमाल करने लगे थे…मनुष्य की प्रगति होने लगी थी…..
जंगली जानवरों का शिकार करना…आग का अविष्कार, समूह में रहना …भाषा का इस्तेमाल करना , गुफाओं में बड़ी बड़ी आकृतियां बनाना…ईंधन का इस्तेमाल करना …ऊर्जा को संरक्षित करना और उसका इस्तेमाल करना मुनष्य ने सीख लिया था..
और अब आज हम इतने विकसित हो गए हैं कि धरती पर मनुष्य के जन्म के रहस्य को भी सुलझा चुके हैं….
लेकिन अभी भी पृथ्वी की गोद में कई ऐसे रहस्य दफन है जिनकी खोज करना बाकी है…शायद भविष्य में हमें इनके जवाब मिल जाए….
पर डायनसोर्स के अंत और मनुष्य के जन्म की ये कहानी आपको कैसी लगी कमेंट करके बताओ….
मनुष्य कैसे आया इस धरती पर और कैसे हुई पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत? | evolution of human being
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