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दुनिया के ऐसे गांव जो रहस्यों से भरे पड़े हैं

दुनिया के ऐसे गावं जो रहस्यों से भरे पड़े है, इंडिया सहित पूरी दुनिया में कई ऐसे गाँव हैं जो अपने आप में किसी रहस्य से कम नहीं, आज हम ऐसे ही गांवों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं

मत्तुर

300 लोगो के इस गावं में एंट्री करते ही ऐसा लगता है जैसे चाणक्य के दौर में आ गये हो. यहाँ हिन्दू-मुस्लिम, बच्चा बड़ा सभी यहाँ संस्कृत में बात करते है. और वेशभूषा भी पुराने दौर के ब्राह्मणों की तरह पहनते है. कर्णाटक के इस गावं ने पुरे भारत की संस्कृति को अपने अंदर समा रखा है. संस्कृत में बात करने की वजह से ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि यहाँ के लोगो को दूसरी कोई भाषा नहीं आती है. यहाँ के लोग संस्कृत की तरह ही अंग्रेजी को भी बहुत अच्छी तरह से बोल लेते है. बेंगलुरू से करीब 320 किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गाँव में बच्चों को 10 साल की उम्र से ही वेदों का ज्ञान देना शुरू कर दिया जाता है. यहाँ के लोग बताते है कि करीब 600 साल पहले केरल से संखेती ब्राहमण समुदाय के लोग यहाँ आकर बस गये थे. तब से यहाँ के लोग संस्कृत ही बोलने लगे.

मलाणा गावं

हिमालय की चोटियों में बसे मलाणा गावं को गहरी खाईयों और बर्फीले पहाड़ियों ने चारो तरफ से घेर रखा है. इस गावं की सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात ये है कि आप यहाँ के किसी भी सामान को हाथ नहीं लगा सकते है. इस अजीब गावं में किसी की दुकाने, घर और दूसरी किसी भी चीज़ को छूने पर 1000 से 2 हज़ार रुपए तक का जुर्माना लगाया जाता है. यही वजह है कि मलाणा के बुजुर्ग बाहर से आये लोगो से हाथ मिलाने और उन्हें छूने से परहेज करते हैं। 1700 लोगों की आबादी वाला ये गांव पर्यटन के लिए काफी फेमस है. दुनियाभर से टूरिस्ट यहाँ घुमने आते है. लेकिन यहाँ पहुंचना कोई आम बात नहीं है. इस गावं में एक भी सड़क नहीं है. पार्वती घाटी की तलहटी में स्थित जरी गांव से यहां तक के लिए सीधी चढ़ाई करनी पडती है। यहाँ के लोग खुद को आर्यों का वंसज बताते है तो वहीँ कुछ लोग खुद को सिकंदर के अनुयायी बताते है. आर्यों का तो पता नहीं लेकिन सिकंदर के समय की कई चीजें मलाणा गांव में मिली हैं। इस गावं के लोग कनाशी नाम की भाषा का इस्तेमाल करते है. ये भाषा दुनियाभर में बस यही बोली जाती है. कहा जाता है कि इस गावं का लोकतंत्र दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है.

टिल्टेपक

mexico के इस गावं को अगर अन्धो का गावं कहा जाये तो कुछ गलत नहीं होगा. क्योंकि यहाँ सिर्फ इन्सान ही नहीं हर जीव अँधा है. ऐसा बिलकुल नहीं है कि यहाँ अंधे लोग ही पैदा होते है. पैदा होते समय यहाँ के बच्चे बिलकुल ठीक होते है. लेकिन कुछ दिनों बाद ही उनके आँखों की रौशनी चली जाती है. इस गावं के अंधेपन के पीछे लोग यहाँ के लावजुएला नाम के एक पेड़ को दोष देते है कहा जाता है कि इस गावं में एक श्रापित पेड़ है. जिसे देखने के बाद देखने वाला इन्सान अँधा हो जाता है. हालाँकि वैज्ञानिको का मानना है कि इस अंधेपन के पीछे एक ख़ास किस्म की मक्खी का हाथ है. ये मक्खी जिस भी जीव को काट ले वो अपनी आँखों की रौशनी हमेशा के लिए खो देता है. सिर्फ 70 झोपड़ियां के इस गावं में करीब 300 लोग रहते हैं। और यहाँ के एक भी घर में खिड़कियाँ नहीं है. दरअसल यहाँ के लोगो का मानना है कि जब इन्हें दिन में भी रौशनी दिखती ही नहीं है तो खिड़कियाँ का क्या काम हैं.

कुलधरा

अपने रहस्यमयी कारणों से हमेशा चर्चा में रहा ये गावं बहुत अजीब है. कुलधरा गावं की सबसे हैरान करने वाली बात है कि ये गावं कभी बसा ही नहीं है. लोगो का कहना है कि ये श्रापित गावं है. यहाँ अकसर भुतिया घटनाएं होती रहती है जिसकी वजह से यहाँ कभी लोगो का बसेरा नहीं हुआ है. आज इस गावं की जमीन पूरी जगह बंजर और वीरान हो चुकी है। कुलधरा आज जिन हालातो में है वो हमेशा से ऐसा नहीं था. राजस्थान का ये गावं कभी बहुत हरा भरा और खूबसूरत हुआ करता था. लेकिन एक रात की भयानक घटना ने इसे हमेशा के लिए वीरान कर दिया और यहाँ रहने वाले लोग रातों रात इस गावं को छोड़ दूसरी जगह शिफ्ट हो गये. कहानियां बताती है की इस गावं के खली होने के पीछे यहाँ के शाषक सलीम का हाथ था जिसे गावं की एक लड़की पसंद आ गयी थी और वो उसे पाना चाहता था. अपनी इज्ज़त को बचने के लिए गावं के मुखिया ने हुक्म दिया की गावं के लोग इस जगह को रातों रात खाली कर देंगे. और जाता जाते उन्होंने इस जमीन को श्राप दिया कि ये गावं कभी नहीं बस पायेगा.

कोडिन्ही

रहस्मयी गावों की इस लिस्ट में अगला नाम केरल के कोडिन्ही का शामिल है. जोकि जुड़वाँ बच्चों के लिए फेमस है. इस ट्विन विलेज की चर्चा काफी लम्बे समय से दुनियाभर में हो रही है कि आखिर इस गावं के हर घर में जुड़वाँ बच्चे कैसे हो सकते है. अगर आप इस गावं में कभी घूमने आये तो एक ही जैसे लोग देखने को मिलेंगे। खबरों के अनुसार इस गावं में करीब 400 जुड़वाँ लोग रहते है. केरल के इस गावं में ऐसा नहीं है कि हमेशा से ही यहाँ जुड़वाँ बच्चे पैदा होते है. रिपोर्ट्स के अनुसार साल 2008 में यहाँ 300 औरतो ने स्वस्थ बच्चो को जन्म दिए जिसमे से करीब 15 बच्चे जुड़वाँ पैदा हुए थे. इसके बाद समय के साथ यहाँ ट्विन्स बच्चो की संख्या में वृद्धि होती रही है. केरल के डॉ बीजू बताते है कि इस गांव में ये चमत्कार लगभग 60 से 70 साल पहले शुरू हुआ था। लेकिन पिछले 10 साल में कोडिन्ही में जुड़वा बच्चों की संख्या पहले के मुकाबले दोगुनी हो गई है। इन जुड़वाँ बच्चो के रहस्य का पता करने से लिए साल 2016 में एक टीम गांव में आई। उन्होंने गांव के जुड़वां लोगो के सैम्पल्स को इकट्ठा किया और उनकी जांच की. लेकिन कुछ खास रिजल्ट नहीं निकला। कुछ न पता चल पाने के बाद कई लोगो का कहना है कई इस गांव की हवा पानी में कुछ ऐसा है जिसके चलते यहां के ज्यादा लोगों के घर जुड़वां बच्चे पैदा होते हैं।

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