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कितना खतरनाक है भारत का Aircraft Carrier INS Vikrantaditya? | How Aircraft Carriers work?

समुद्र की लहरों में Surffing करता …गोते लगता एक चलता फिरता पूरा का पूरा एक शहर है….जो अपने देश के गौरव के लिए दुश्मन के सामने डंटकर खड़ा रहता है और दुश्मन को नश्तो नाबूत करने की शक्ति रखता है….पर क्या आप जानते हैं कि विशालकाय खूंखार खतरनाक Aircraft Carrier काम कैसे करता है और इसमें ऐसा क्या खास है कि इससे दुनिया थर थर कांपती है ..
Aircraft Carrier क्या होता है
Aircraft Carrier बोले तो खतरनाक मिसाइल्स, हर सेकेंड उड़ान भरते फाइटर जेट्स…केनन गनस, बम, खूंखार हथियार और हाई टैक टेक्नॉलजी से लेस जंगी जहाज…एक एयरक्राफ्ट Carrier में हजारों सैनिक अपनी जान हथेली पर लेकर साल के 365 दिन डंटकर खड़े रहते हैं….और इन सैनिकों के लिए इन Carriers पर ही रहने खाने- पीने, खेलने से लेकर मेडिकल जिम जैसी सभी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं…..

कब और क्यों बनना शुरु हुए Aircrafts carriers
Aircrafts carriers को बनाने की शुरुआत फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के दौरान हुई थी… और दुनिया का पहला एयरक्राफ्ट Carrier जापान का HMS Hermes था…पहले के एयरक्राफ्ट Carrier सिर्फ मिलिट्री के छोटे एयरक्राफ्ट्स और हेलीकॉप्टर के लिए रनवे का काम करते थे…लेकिन अब ये Aircrafts Carriers मिलिट्री के फाइटर जेट्स, मिसाइल्स, केनन गनस और बमस का असली अड्डा बन चुके हैं….लेकिन क्या आप जानते हैं कि Aircrafts Carriers को बनाने का मैन रिजन क्या था …..वो था International Freedom of Navigation Law का फायदा उठाना…….
इस लॉ के मुताबिक ये Carriers किसी भी देश के किनारे से 22 किलोमीटर ( 14 Miles ) दूर लीगली ढेरा लगाकर बैठ सकते हैं…
मानें इस लॉ का फायदा उठाकर कोई भी देश अपने जंगी जहाज को अपने दुश्मन देश के पोर्ट से सिर्फ 22 किलोमीटर दूर खड़ा कर सकता है और उस पर नजर रख सकता हैऔर अगर किन्हीं दो देशों के बीच युद्ध होता है तो जिस देश के पास ये खतरनाक Aircraft Carrier होंगे उलका पलड़ा भारी होगा….
किस काम आते हैं Aircraft Carrier
Aircraft Carrier एक साथ फाइटर एयरक्राफ्ट के लिए रनवे…मिसाइल लांचर और दूसरे देशों की गतिविधियों पर निगरानी रखने का काम करता है…और इसलिए हर देश चाहता है कि उसके पास कम से कम एक Aircraft Carrier तो जरुर हो …लेकिन क्योंकि ये एयरक्राफ्ट Carrier बहुत महंगे होते हैं और इनके रखरखाव में भी अरबों का खर्च आता है इसलिए बहुत सारे देश चाहकर भी इन्हें खरीदने का रिस्क नहीं लेते….और यही वजह है कि इस समय दुनिया में सिर्फ 22 Aircraft carrier सर्विस में है जिसमें से अकेले अमेरिका के पास 11 Aircraft carrier है …
वहीं इटली, यूके और चाइना के पास 2-2 और भारत, थाईलैंड, स्पेन, रुस और फ्रांस के पास 1-1 Aircraft carrier है…

कैसे काम करते हैं Aircraft Carrier
(और क्यों कि ये) Aircraft Carrier किसी भी देश का सबसे खतरनाक और किमती हथियार होते हैं इसलिए ये कभी भी अकेले नहीं चलते..
इनके साथ जंगी जहाजों का एक पूरा कारंवा चलता है जिसमें टॉम हुक मिसाइल से लेकर Guided Missile Crusier, 2 Guided Missile Destroyer, 1 Sumbraine और एक सप्लाई शिप शामिल है…जो Aircraft Carriers को तीन तरफ से कवर करते हैं …..सप्लाई शिप को छोड़कर सभी जहाज Defence और Attack दोनों में माहिर होते हैं….और ज्यादातर Aircraft Carriers को Regular Refueling की जरुरत भी नहीं पड़ती…..अमेरिका के सभी 11 Aircraft Carriers और फ्रांस का एक Aircraft Carriers Nuclear Power से चलते है जिस वजह से ये Aircraft Carriers अगले 25 साल तक बिना Refueling के भी समुद्र में सफर कर सकते हैं….
वहीं Uk का Aircraft Carrier HMs Queen Elizabeth बिना Refueling के कम से कम 18 हजार किलोमीटर तक का सफर तय कर सकता है…
भारत का Aircraft Carrier INS Vikramaditya भी बिना Refueling के भारत के पूरे Coastline का दोबारा चक्कर लगा सकता है….
ये सभी Aircraft Carriers कई सालों तक बिना Refueling के सफर तो कर सकते हैं …लेकिन खाना और Aviation Fuel की जरुरत के चलते इन्हें हर दो से तीन हफ्तों में port विजिट करने ही पड़ते हैं ताकि जरुरी खाना और फ्यूल लोड कर सकें….…
बंदरगाह पर सप्लाई शिप में खाना, दवाईयां, गोला बारुद और ईंधन लोड होता है…पर इससे ज्यादा मुश्किल काम होता है उफान मारती लहरों के बीच सप्लाई शिप से Aircraft Carrier पर सामान लोड करना …
Aircraft Carrier पर फ्यूल पहुंचाने के लिए सप्लाई शिप से एक जिप लाइन Carrier पर साधी जाती है जिसकी मदद से पाइप Carrier को reserve tank तक पहुंचाया जाता है…बाकी सामान को लोड करने के लिए भी इन्हीं जिप लाइन का इस्तेमाल होता है
हां लेकिन Aircraft Carrier पर सामान सप्लाई करने का ये एक मात्र तरीका नहीं है… Aircraft Carrier पर सप्लाई लोड के लिए कई बार हेलिकॉप्टर्स का भी इस्तेमाल किया जाता है…वहीं क्या आप जानते हैं कि हमारे घर, ऑफिस की ही तरह Aircraft Carriers के अपने मेलिंग एड्रस भी होते हैं जिन पर यहां रहने वाले सैनिकों के परिवारजन चिट्ठियां और गिफ्ट्स भेजते हैं….
यही नहीं Aircraft Carriers पर रहने वाले कर्मचारी( Sailors ) आम लोगों की ही तरह ऑनलाइन शॉपिंग भी कर सकते हैं…
ऑनलाइन सामान को पहले Aircraft Carrier के बेस Address पर भेजा जाता है और फिर ये सामान Port Address और फिर फाइनली Aircraft Carrier तक पहुंचता है…इस पूरे प्रोसेस में सिर्फ 10 से 12 दिन तक टाइम लगता है …land और Sea के बीच इस हाई स्पीड Connectivity के लिए Cargo Planes एक नेटवर्क का काम करते हैं जो डेली बेसस पर Aircraft Carriers तक ये Deliveries पहुंचाते हैं
Military Aircrafts के Airport
और देखा जाए तो ये Aircraft Carriers समुद्र में तैरते Airport से कम नहीं है जहां से हर 25 से 30 सेकेंड में मिलिट्री फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर्स TAKE OFF और Land करते हैं…
एक बड़े Aircraft Carrier पर कम से कम 100 से ज्यादा एयरक्राफ्ट्स के पार्क करने की जगह होती हैं …
लेकिन क्योंकि Aircraft Carrier का flight deck Area ( Landing Launching Strip Or Runway ) लिमिटड होता है इसलिए Aircrafts को Carrier के Hanger Deck में ( Basement) पार्क किया जाता है यहीं पर प्लेनस की Repairing Refueling का काम भी होता है…
Aircraft Carrier का First Floor जिसे शिप का Island कहा जाता है ये एरिया Sailors के रहने, खाने, फूड स्टोरेज और ऑफिशियल वर्क एरिया के तौर पर Reserve होता है….
Carrier का Lowest Area Machinery Area होता है जहां Carriers के पावर इंजन होते हैं….
समुद्र की लहरों के बीच Carrier के रनवे पर एयरक्राफ्ट को एक सेफ टैक ऑफ देने के लिए On Board Machinaries का इस्तेमाल किया जाता है….पर टेक ऑफ से भी ज्यादा खतरनाक होता है Carrier के छोटे से रनवे पर प्लेनस को लैंड कराना…
लैंडिंग से पहले पायलट्स प्लेन से एक स्टील वायर को शिप पर भेजते हैं जिसे arresting wire कहा जाता है…
इस arresting wire को शिप के hydraulic system से अटैच किया जाता है जिससे प्लेन की स्पीड स्लो हो जाती है और प्लेन Smooth Landing कर पाता है ….यूएस फ्रांस जैसे देशों के Carriers में Catapults System भी मौजूद है जिसकी मदद से Short Flight Deck पर भी बड़े एयरक्राफ्ट्स आसानी से टेकऑफ और लैंड कर सकते हैं…लेकिन भारत चाइना के Aircraft Carriers में अभी ये टेक्नॉलजी नहीं है…जिस वजह से भारत और चाइना के Carriers बड़े विमानों को लैंड कराने में सक्षम नहीं है
ये विशालकाय जंगी जहाज काम कैसे करता है ये तो अब आप समझ गए लेकिन इस जंगी जहाज को मैनज करना भी कोई बच्चों का खेल नहीं है…छोटी सी लापरवाही और अरबों का नुकसान…
इन Aircraft Carriers पर लॉउर लेवल से लेकर Upper Level तक सभी की ड्यूटी फिक्सिड होती है… और हर डिपार्टमेंट का अपना यूनिक ड्रेस कोड और कलर कोड होता है
कितना खतरनाक है भारत का Aircraft Carrier INS Vikrantaditya

शक्तिशाली Aircraft Carrier की इस रेस में भारत भी पीछे नहीं है.भारत का INS Vikrantaditya Advance Technology के चलते दुनिया के 10 सबसे ताकतवर Aircraft Carriers में शामिल है….
INS Vikrantaditya में एक वक्त में 36 Aircraft और हेलिकॉप्टर खड़े हो सकते हैं ..जिसमें इंडियन एयरफोर्स के Mig 29, Hal Chetak ,HAL Dhruv, Sea King और Kamov Ka-31 Helicopter शामिल है…
वहीं दूसरे Aircraft Carriers की ही तरह ये भी anti-ship missiles, air-to-air missiles, guided bombs और rockets से लेस है …
…..भारत सरकार ने INS Vikrantaditya को रुस से 1.6 बिलियन डॉलर में खरीदा था..….ये Carrier इंडियन नेवी में 1971 इंडो पाक के हीरो और भारत के पहले एयरक्राफ्ट Carrier INS Vikrant की जगह लाया गया है….INS Vikrantaditya 59 किलोमीटर Per Hour की स्पीड के साथ 25 हजार किलोमीटर की रेंज देता है वहीं इस एयरक्राफ्ट की Endurance Power 45 Days है यानी की इस Aircraft Carrier का Communication कभी देश से टूट भी जाता है तो भी ये 45 दिन तक अपना गुजरा आराम से कर सकता है …..
और हां इस Aircraft Carrier पर देश के 1000 से ज्यादा नेवी ऑफिसर्स हर वक्त तैनात रहते हैं जो 1 साल से भी लंबे वक्त तक बिना थके बिना रुके दिन रात इस Carrier पर ड्यूटी करते हैं …
पर 365 दिन तक घर से दूर देश की मिट्टी से दूर समुद्र की उफना खाती लहरों के बीच इस Aircraft Carrier पर रहना इन जवानों के लिए आसान नहीं होता.…

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